Class 9 science chapter 15 questions and answers | Class 9 science chapter 15 question answer in hindi | कक्षा 9 विज्ञान पाठ 15 के प्रश्न उत्तर |

Class 9 science chapter 15 question answer in hindi

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 229)

प्र० 1. अनाज, दाल, फल तथा सब्ज़ियों से हमें क्या प्राप्त होता है?
उत्तर- अनाज से कार्बोहाइड्रेट प्राप्त होता है जो हमें ऊर्जा प्रदान करता है। दालों से प्रोटीन प्राप्त होता है। फलों तथा सब्जियों से विटामिन तथा खनिज लवण प्राप्त होते हैं, कुछ मात्रा में प्रोटीन, वसा और कार्बोहाइड्रेट भी प्राप्त होते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 230)

प्र० 1. जैविक तथा अजैविक कारक किस प्रकार फसल उत्पादन को प्रभावित करते हैं?
उत्तर- जैविक (रोग, कीट तथा निमेटोड) तथा अजैविक (सूखा, क्षारता, जलाक्रांति, गरमी, ठंडा तथा पाला) परिस्थितियों के कारण फसल उत्पादन कम हो सकता है और फसल नष्ट हो सकती है। इन दोनों कारकों के संयुक्त प्रभाव निम्न हो सकते हैं

  • कीटों का संक्रमण।
  • अनाज के भार में कमी।
  • खराब अंकुरण क्षमता।
  • गुणवत्ता में कमी।
  • बदरंग (Discolouration) हो जाना।
  • बाजार मूल्य में ह्रास (कमी) हो जाना।

प्र० 2. फसल सुधार के लिए ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण क्या हैं?
उत्तर- ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण-चारे वाली फ़सलों के लिए लंबी तथा सघन शाखाएँ ऐच्छिक गुण हैं। अनाज के लिए बौने पौधे उपयुक्त हैं ताकि इन फसलों को उगाने के लिए कम पोषकों की आवश्यकता हो। इस प्रकार सस्य विज्ञान वाली किस्में अधिक उत्पादन प्राप्त करने में सहायक होती हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक ( पृष्ठ संख्या 231)

प्र० 1. वृहत् पोषक क्या हैं और इन्हें वृहत्-पोषक क्यों कहते हैं?
उत्तर- पौधों को अनेक पोषक पदार्थ मिट्टी से प्राप्त होते हैं। इन पोषकों में से कुछ पोषक तत्त्व नाइट्रोजन, फ़ॉस्फोरस, पोटैशियम, कैल्सियम, मैगनीशियम, सल्फर को वृहत् पोषक कहा जाता है। चूंकि इनकी आवश्यकता अधिक मात्रा में पड़ती है इसलिए इन्हें वृहत् पोषक कहा जाता है।

प्र० 2. पौधे अपना पोषक कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर- पौधे अपना पोषक हवा, पानी तथा मिट्टी से प्राप्त करते हैं।
हवा से – कार्बन, ऑक्सीजन
पानी से – हाइड्रोजन, ऑक्सीजन
तथा मिट्टी से अन्य पोषक पदार्थ प्राप्त होते हैं। मिट्टी में पाए जाने वाले पोषक पदार्थ जल में घुलनशील होते हैं जो जड़ों द्वारा अवशोषित कर लिए जाते हैं तथा जाइलम ऊतक के द्वारा पौधों के विभिन्न भागों तक पहुँचाए जाते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 232)

प्र० 1. मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए खाद तथा उर्वरक के उपयोग की तुलना कीजिए।
उत्तर- खाद की उपयोगिता:

  • खाद मिट्टी को पोषक तथा कार्बनिक पदार्थों से परिपूर्ण करती है और मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाती है।
  • यह मिट्टी की संरचना में सुधार लाती है।
  • इसके कारण रेतीली मिट्टी में पानी को रखने की क्षमता बढ़ जाती है।
  • चिकनी मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की अधिक मात्रा पानी को निकालने में सहायता करती है। जिससे पानी एकत्रित नहीं हो पाती है।
  • मृदा अपरदन में कमी आती है।
  • खाद-मिट्टी को ह्यूमस (Humus) प्रदान करती
  • सूक्ष्मजीवों एवं भूमिगत जीवों के लिए भोजन प्रदान करती है।

उर्वरक का उपयोग

  • इनके उपयोग से अच्छी कायिक वृद्धि (पत्तियाँ, शाखाएँ तथा फूल) होती है और स्वस्थ पौधों की प्राप्ति होती है।
  • अधिक उत्पादन के लिए उर्वरक का उपयोग किया जाता है, परंतु ये आर्थिक दृष्टि से महँगे होते हैं।
  • उर्वरकों के उपयोग द्वारा कम समय में अधिक उत्पादन होता है, परंतु यह मृदा की उर्वरता को कुछ समय बाद हानि पहुँचाते हैं।
  • उर्वरकों के लगातार प्रयोग से मिट्टी की उर्वरता घटती है क्योंकि कार्बनिक पदार्थ की पुनः पूर्ति नहीं हो पाती है तथा सूक्ष्मजीवों एवं भूमिगत जीवों का जीवन-चक्र अवरुद्ध होता है।
  • मिट्टी अम्लीय या क्षारीय हो जाती है जिससे मिट्टी सूखी, चूर्ण की तरह (Powdery) होने से मृदा अपरदन बढ़ती है।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 235)

प्र० 1. निम्नलिखित में से कौन-सी परिस्थिति में सबसे अधिक लाभ होगा? क्यों?
(a) किसान उच्चकोटि के बीज का उपयोग करें, सिंचाई ना करें अथवा उर्वरक का उपयोग न करें।
(b) किसान सामान्य बीजों का उपयोग करें, सिंचाई | करें तथा उर्वरक का उपयोग करें।
(c) किसान अच्छी किस्म के बीज का प्रयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ।
उत्तर- (c) किसान अच्छी किस्म के बीज का प्रयोग करें, सिंचाई करें, उर्वरक का उपयोग करें तथा फसल सुरक्षा की विधियाँ अपनाएँ। केवल इसी परिस्थिति में अधिक लाभ होगा क्योंकि उच्च कोटि के बीज होने पर भी जब तक सही तरीकों से सिंचाई, उर्वरकों का प्रयोग और फसल की सुरक्षा नहीं की जाए तो उत्पादकता में कमी आती है।

NCERT पाठ्यपुस्तक पृष्ठ संख्या 235)

प्र० 1. फसल की सुरक्षा के लिए निरोधक विधियाँ तथा जैव नियंत्रण क्यों अच्छा समझा जाता है?
उत्तर- पीड़कों पर नियंत्रण के लिए प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्मों का उपयोग तथा ग्रीष्मकाल में हल से जुताई की जाती है। गहराई तक जुताई करने से खरपतवार तथा पीक नष्ट हो जाते हैं। यह एक प्रकार की निरोधक विधि है। जैव नियंत्रण विधि में जानबूझकर कीटों या अन्य जीवों का उपयोग किया जाता है जो खर-पतवार को खासकर नष्ट कर देता है। जैसे-प्रिंकले पियर कैक्टस (Prinkly-pear Cactus)
उपर्युक्त विधियाँ अच्छी इसलिए हैं क्योंकि:

  • पर्यावरण प्रदूषण नहीं होता है।
  • किसी अन्य पौधों और जानवरों को हानि नहीं पहुँचती है।
  • यह सस्ता एवं सरल तरीका है तथा मिट्टी की गुणवत्ता प्रभावित नहीं होती है।

प्र० 2. भंडारण की प्रक्रिया में कौन-से कारक अनाज की हानि के लिए उत्तरदायी हैं?
उत्तर- जैविक कारक-कीट, कुंतक, कवक, चिंचड़ी तथा जीवाणु। अजैविक कारक-भंडारण के स्थान पर उपयुक्त नमी व ताप का अभाव होना। ये कारक उत्पादन की गुणवत्ता को खराब करते हैं। वजन कम कर देते हैं। अंकुरण की क्षमता कम कर देते हैं। उत्पादन को बदरंग कर देते हैं। ये सब लक्षण बाज़ार में उत्पादन की कीमत को कम कर देते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 236)

प्र० 1. पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्राय: कौन-सी विधि का उपयोग किया जाता है और क्यों?
उत्तर- पशुओं की नस्ल सुधार के लिए प्रायः विदेशी नस्लों और देशी नस्लों में संकरण (Cross breeding) कराया जाता है। विदेशी नस्लों; जैसे-जर्सी, ब्रॉउन स्विस में दुग्ध स्रवण काल लंबा (Prolonged Period of Lactation) होता है जबकि देशी नस्लों; जैसे-रेडसिंधी, साहीवाल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है। अत: इनके संकरण से एक नई संतति प्राप्त होती है जिसमें दोनों प्रकार के ऐच्छिक गुण (रोग प्रतिरोधक क्षमता व लंबा दुग्धस्रवण काल) होंगे।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 237)

प्र० 1. निम्नलिखित कथन की विवेचना कीजिए “यह रुचिकर है कि भारत में कुक्कुट, अल्प रेशे के खाद्य पदार्थों को उच्च पोषकता वाले पशु प्रोटीन आहार में परिवर्तन करने के लिए सबसे अधिक सक्षम हैं। अल्प रेशे के खाद्य पदार्थ मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।”
उत्तर- पाल्ट्री फार्म में कुक्कुट ऐसे कृषि उत्पादों को आहार के रूप में प्रयोग करते हैं जो मनुष्यों के लिए उपयुक्त नहीं होता है; जैसे – चावल के दाने, ज्वार, बाजरा आदि के दले हुए दाने। कुक्कुट इन्हें खाकर अंडों और मांस में संश्लेषण कर देते हैं जो उच्च कोटि के पशु प्रोटीन होते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 238)

प्र० 1. पशुपालन तथा कुक्कुट पालन के प्रबंधन प्रणाली में क्यो समानता है?
उत्तर- पशुपालन तथा कुक्कुट पालन के प्रबंधन प्रणाली में निम्नलिखित समानताएँ हैं

  • उचित सफाई तथा आवास की व्यवस्था होनी चाहिए। उनका आवास छतदार एवं रोशनदानयुक्त होना चाहिए। आवास का फ़र्श ढलवाँ होना चाहिए जिससे कि वह साफ और सूखा रहे।
  • उचित आहार की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • संक्रामक रोगों से बचाने के लिए टीका लगवाना चाहिए ताकि वायरस, बैक्टीरिया, कवक से होने वाली बीमारियों से सुरक्षा हो सके।
  • तापमान नियंत्रण की व्यवस्था होनी चाहिए।
  • रोगों तथा पीड़कों पर नियंत्रण तथा उनसे बचाव तथा रोगाणुनाशी पदार्थों का छिड़काव करना चाहिए।

प्र० 2. ब्रौलर तथा अंडे देने वाली लेयर में क्या अंतर है? इनके प्रबंधन के अंतर को भी स्पष्ट करें।
उत्तर-
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NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 239)

प्र० 1. मछलियाँ कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर- मछलियाँ दो तरीके से प्राप्त की जाती हैं

  • प्राकृतिक स्रोत (जिसे मछली पकड़ना कहते हैं) मछलियाँ के जल-स्रोत समुद्री जल तथा ताज़ा जल (अलवणीय जल) हैं। अलवणीय जल नदियों, नहरों तथा तालाबों में होता है।
  • मछली पालन (या मछली संवर्धन)
    अतः मछली पकड़ना तथा मछली संवर्धन समुद्र तथा ताजे जल पारिस्थितिक तंत्रों में किया जा सकता है।

प्र० 2. मिश्रित मछली संवर्धन के क्या लाभ हैं?
उत्तर- मिश्रित मछली संवर्धन से निम्नलिखित लाभ हैं

  • इस प्रक्रिया में देशी तथा आयातित प्रकार की मछलियाँ एक साथ रहती हैं।
  • एक ही तंत्र में एक ही तालाब में 5 अथवा 6 मछलियों की स्पीशीज का प्रयोग किया जाता है।
  • ऐसी मछलियों को चुना जाता है जिनमें आहार के लिए प्रतिस्पर्धा न हो अथवा उनके आहार भिन्न-भिन्न हों।
  • तालाब के प्रत्येक भाग में उपलब्ध आहार का प्रयोग हो जाता है; जैसे-कटला-जल की सत से, रेहु-तालाब के मध्य क्षेत्र से, मृगल तथा कॉमन कार्प-तालाब की तली से भोजन लेती हैं। ग्रास कार्प खर-पतवार खाती हैं।
  • अतः ये मछलियाँ साथ-साथ रहते हुए भी बिना स्पर्धा के अपना-अपना आहार लेती हैं। इससे तालाब से मछली के उत्पादन में वृद्धि होती है।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 240)

प्र० 1. मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खी में कौन-से ऐच्छिक गुण होने चाहिए?
उत्तर- मधु उत्पादन के लिए प्रयुक्त मधुमक्खी में निम्नलिखित गुण होने चाहिए

  • इनमें मधु एकत्र करने की क्षमता अधिक हो।
  • वे डंक कम मारें।
  • वे निर्धारित छत्ते में काफी समय तक रहें और प्रजनन तीव्रता से करें।

प्र० 2. चरागाह क्या है और ये मधु उत्पादन से कैसे संबंधित है?
उत्तर- चरागाह वे स्थान हैं जहाँ बहुत सारे फूलों की क्यारियाँ होती हैं जिनसे मधुमक्खियाँ फूलों से मकरंद तथा पराग एकत्र करती हैं। चरागाह की पर्याप्त उपलब्धता मधुमक्खियों को अधिक मात्रा में शहद देती है तथा फूलों की किस्में मधु की गुणवत्ता एवं स्वाद को निर्धारित करती हैं। इसलिए जितने अधिक प्रकार के फूल होंगे, उतनी ही किस्में मधु के स्वाद की भी होंगी। अतः मधु उत्पादन का चरागाह से संबंध है।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. सल उत्पादन की एक विधि का वर्णन करो जिससे अधिक पैदावार प्राप्त हो सके।
उत्तर- अधिक पैदावार प्राप्त करने की एक विधि फसल चक्र (Crop Rotation) है। इस विधि में क्रमवार पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार किसी खेत में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं। परिपक्वन काल के आधार पर विभिन्न फसल सम्मिश्रण (Crop Combinations) के लिए फसल चक्र अपनाया जाता है। एक कटाई के बाद दूसरी कौन-सी फसल उगाई जाए, यह नमी तथा सिंचाई की उपलब्धता पर निर्भर करता है। यदि फसल चक्र उचित ढंग से अपनाया जाए तो वर्ष में दो या तीन फसलों से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह विधि इस सिद्धान्त पर आधारित है. कि यदि लगातार एक ही खेत में एक ही फसल उगाई जाए तो उसमें एक विशेष प्रकार के खनिज की कमी हो जाती है तथा अनेक रोग तथा पीड़क फसल को नष्ट कर देते हैं; जैसे-मक्का , सरसों, धान, गेहूं आदि।

प्र० 2. खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग क्यों करते हैं?
उत्तर- खेतों में खाद तथा उर्वरक का उपयोग करने पर मिट्टी की उर्वरता बढ़ जाती है, फसल की उत्पादकता में वृद्धि होती है क्योंकि पोषकों की कमी के कारण पौधों की शारीरिक प्रक्रियाओं सहित जनन, वृद्धि तथा रोगों के प्रति प्रवृत्ति पर प्रभाव पड़ता है। अतः खाद तथा उर्वरक का उपयोग करने पर मिट्टी में वांछित पोषकों की पूर्ति हो जाती है तथा उत्पादन अधिक होता है।

प्र० 3. अंतराफसलीकरण तथा फसल चक्र के क्या लाभ हैं?
उत्तर- अंतराफसलीकरण से लाभ (Advantages of using intercropping):

  • मिट्टी की उर्वरता बरकरार रहती है।
  • इस विधि द्वारा पीड़क व रोगों को एक प्रकार की फसल के सभी पौधों में फैलने से रोका जा सकता है।
  • दो भिन्न प्रकार की फसल आसानी से बोई तथा काटी जा सकती हैं।
  • प्रति इकाई क्षेत्रफल में उत्पादन अधिक होता है क्योंकि मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
  • दो भिन्न प्रकार की फसलों को पोषक तत्त्वों की आवश्यकताएँ भिन्न-भिन्न होने के कारण पोषकों का अधिकतम उपयोग होता है।
  • प्राकृतिक संसाधनों-सूर्य का प्रकाश, भूमि तथा जल का अच्छा उपयोग होता है।
  • श्रम तथा समय की बचत होती है।
  • मृदा अपरदन नहीं होता है।

‘फसल चक्र से लाभ (Advantages of Using Crop Rotation) :

  • इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है।
  • मिट्टी में किसी खास प्रकार के पोषक तत्त्व की कमी नहीं होती है।
  • दलहनी फसलें बोने से मिट्टी में नाइट्रोजन की वृद्धि होती है।
  • फसल चक्र खर-पतवार को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं।
  • फसलों में रोग वृद्धि तथा पीड़कों से संक्रमण में कमी आती है।
  • फसल की उर्वरता बढ़ने पर उत्पादन अच्छा होता है।

प्र० 4. आनुवांशिक फेरबदल क्या हैं? कृषि प्रणालियों में ये कैसे उपयोगी हैं?
उत्तर- वह फसल जिसे वांछित लक्षण प्राप्त करने के लिए किसी दूसरे स्रोत से प्राप्त जीन को प्रवेश कराकर विकसित किया गया हो, आनुवंशिक रूपांतरित (फेरबदल) (Genetic Manipulation) फसल कहलाती है। कृषि प्रणाली में यह निम्नलिखित कारणों से उपयोगी है

  • उच्च उत्पादकता।
  • उन्नत किस्में।
  • जैविक तथा अजैविक प्रतिरोधी होती है।
  • फसल में व्यापक अनुकूलता होती है।
  • इसके परिपक्वन काल में परिवर्तन किया जा सकता है। फसल उगाने से कटाई तक कम से कम समय लगना आर्थिक दृष्टि से अच्छा है।
  • फसल में ऐच्छिक सस्य विज्ञान गुण लाने से उत्पादन अधिक होता है; जैसे-अनाज के लिए बौने पौधे उपयुक्त हैं।

प्र० 5. भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि कैसे होती है?
उत्तर- भंडार गृहों (गोदामों) में अनाज की हानि मुख्यतः दो कारकों से होती है

  • अजैविक कारक : अनाज में उपयुक्त नमी का अभाव होना, भंडारण के स्थान पर उपयुक्त नमी और तापमान का अभाव होना, वायु में आर्द्रत अधिक होना।
  • जैविक कारक : इसके अंतर्गत कीट, कुंतक (Rodents), कवक, चिंचड़ी (Mites) तथा जीवाणु (Bacteria) आते हैं।

प्र० 6. किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ कैसे लाभदायक हैं?
उत्तर- किसानों के लिए पशुपालन प्रणालियाँ निम्न कारणों से लाभदायक हैं

  • पशुपालन से दूध, मांस, अंडा आदि के उत्पादन में वृद्धि होती है जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
  • विदेशी नस्लों तथा देशी नस्लों में संकरण द्वारा ऐच्छिक गुण वाली नस्लें प्राप्त की जाती हैं जो रोग प्रतिरोधक क्षमता, लंबे जीवनकाल वाली व लंबा दुग्ध स्रवण काल वाली होती हैं। परिणामस्वरूप दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होती है।
  • पालतू पशुओं के रहने के स्थान, भोजन, रोगों से सुरक्षा के लिए उपाय एवं साफ़-सफ़ाई का ध्यान रखा जाता है।

प्र० 7. पशुपालन के क्या लाभ हैं?
उत्तर- पशुपालन से निम्नलिखित लाभ हैं

  • इनसे दूध के साथ-साथ कृषि कार्य (हल चलाना, सिंचाई तथा बोझा ढोने) में मदद मिलती है।
  • इन्हीं पालतू पशुओं के अपशिष्ट से खाद बनाई जाती है।
  • नस्लों में सुधार होने के कारण दुग्ध उत्पादन में वृद्धि होती है।
  • अच्छे गुणवत्ता वाले मांस, रेशे, चमड़े इत्यादि प्राप्त किए जाते हैं।
  • मधुमक्खी से मधु तथा मोम मिलता है।
  • भेड़-बकरियों से हमें ऊन मिलता है जो सर्दियों में हमें ठंड से बचाता है।

प्र० 8. उत्पादन बढ़ाने के लिए कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन तथा मधुमक्खी पालन में क्या समानताएँ हैं?
उत्तर-

  • वैज्ञानिक तरीके से देखरेख तथा प्रबंधन करना।
  • सर्वोत्तम नस्लों का उपयोग करना ताकि उत्पादन अधिक हो तथा उनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता भी हो।

प्र० 9. प्रग्रहण मत्स्यन, मेरीकल्चर तथा जल संवर्धन में क्या अंतर है?
उत्तर- (i) प्रग्रहण मत्स्यन (Capture Fishing) : ताज़ा जल (अलवणीय जल) तथा समुद्री जल जैसे प्राकृतिक स्रोतों से मछली पकड़ना प्रग्रहण मत्स्यने कहलाता है। इस प्रकार के जल स्रोत हैं-तालाब, नदी, पोखर, लैगून, झील, समुद्र, महासागर इत्यादि।

(ii) मेरीकल्चर (Mariculture) : कुछ आर्थिक महत्त्व वाली समुद्री मछलियों का समुद्री जल में संवर्धन किया जाता है, जिसे मेरीकल्चर कहते हैं। इनमें प्रमुख हैं-मुलेट, भेटकी तथा पर्लस्पॉट (पखयुक्त मछलियाँ), कवचीय मछलियाँ; जैसे-झींगा (Prawn), मस्सल तथा ऑएस्टर एवं साथ ही समुद्री खर-पतवार।।

(iii) जल-संवर्धन (Aquaculture) : यह ताज़ा जल (Fresh water) तथा समुद्री जल (लवणीय जल) दोनों में किया जा सकता है। मेरीकल्चर, जल संवर्धन (Aquaculture) का ही एक प्रकार है।

कक्षा 9 विज्ञान पाठ 14 के प्रश्न उत्तर | Class 9 science chapter 14 question answer in hindi | class 9 science chapter 14 notes pdf |

पाठगत हल प्रश्न (NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED)

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 217)

प्र० 1. शुक्र और मंगल ग्रहों के वायुमंडल से हमारा वायुमंडल कैसे भिन्न है?
उत्तर- हमारे वायुमंडल में नाइट्रोजन कार्बन डाइऑक्साइड (0.03% से 0.07% तक), ऑक्सीजन, ऑर्गन और जलवाष्प हैं जबकि शुक्र और मंगल ग्रहों पर मुख्य घटक CO2 है जिसकी मात्रा 95-97 प्रतिशत तक है। इसलिए वहाँ कोई जीवन नहीं है परंतु पृथ्वी पर जीवन है।

प्र० 2. वायुमंडल कंबल की तरह कैसे कार्य करता है?
उत्तर- वायुमंडल कंबल की भाँति निम्न तरीकों से कार्य करता है।

  • वायु उष्मा का कुचालक है। वायुमंडल पृथ्वी के औसत तापमान को दिन के समय तथा पूरे वर्ष भर लगभग नियत (स्थिर) रखता है।
  • दिन के तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है तथा रात के समय ऊष्मा को बाहरी अंतरिक्ष में जाने से रोकता है।
  • वायुमंडलीय ओजोन परत सूर्य के हानिकारक विकिरण UV (Ultraviolet radiation) को स्थल पर आने से रोकता है तथा उसके हानिकारक प्रभाव से बचाता है।

प्र० 3. वायु प्रवाह (पवन) के क्या कारण हैं?
उत्तर- स्थल तथा जल के ऊपर असमान रूप में वायु के गर्म होने के कारण ही पवनें उत्पन्न होती हैं।
जलवाष्प जीवित प्राणियों के क्रियाकलापों और जल के गर्म होने के कारण बनती है।
वायुमंडल में जलवाष्प का बनना तथा वायु के गर्म होने के कारण पवन उत्पन्न होती है।
जमीन के ऊपर की हवा जल्दी गर्म होकर ऊपर उठने लगती है और समुद्र के ऊपर की हवा इस ओर आती है क्योंकि जमीन के ऊपर निम्न दाब का क्षेत्र बनता है। इसके अलावा पृथ्वी की घूर्णन गति तथा पवन के मार्ग में आने वाली पर्वत श्रृंखलाएँ भी हवा के बनने और इसकी दिशा को प्रभावित करती हैं।

प्र० 4. बादलों का निर्माण कैसे होता है?
उत्तर- दिन के समय जलीय भाग गर्म हो जाते हैं तथा बहुत अधिक मात्रा में जलवाष्प बनती है। गर्म वायु अपने साथ जलवाष्प को लेकर ऊपर की ओर जाती है यह फैलती है तथा ठंडी हो जाती है। ठंडा होने से जलवाष्प जल की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में संघनित हो जाती है तथा बदलों को निर्माण करती है। जब ये जल की बूंदें बड़ी और भारी हो जाती हैं तो वर्षा, हिमवृष्टि ओले के रूप में नीचे गिरती है।

प्र० 5. मनुष्य के तीन क्रियाकलापों का उल्लेख करें जो वाय प्रदूषण में सहायक है।
उत्तर-

  • जीवाश्म ईंधनों जैसे कोयला और पेट्रोलियम का जलना।
  • लकड़ी, उपले (dung cakes), पत्तों आदि का पूरी तरह न जलना
  • कारखानों, उद्योगों आदि से निकला विषैला धुआँ।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 219)

प्र० 1. जीवों को जल की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर- जीवों को जल की आवश्यकता निम्न क्रियाकलापों के लिए पड़ती है

  • शरीर में जीवों के सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं।
  • शरीर के एक भाग से दूसरे भाग में पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है।
  • मनुष्य के शरीर का 70 % भार जल के कारण होता है।
  • जल कुछ प्राणियों का आवास भी है।
  • स्थलीय जीवों को शुद्ध जल की आवश्यकता होती है। क्योंकि खारे जल में नमक की अधिक मात्रा होने के कारण जीवों का शरीर उसे सहन नहीं कर पाता है।
  • हमारे शरीर के अंदर की कोशिकाओं में होने वाली अभिक्रियाएँ, उन पदार्थों में होती हैं जपानी में घुले होते हैं।

प्र० 2. जिस गाँव / शहर / नगर में आप रहते हैं वहाँ पर उपलब्ध शुद्ध जल का मुख्य स्रोत क्या है?
उत्तर-
स्थान – जल के मुख्य स्रोत
शहर में – नगरपालिका/नगर निगम जल वितरण प्रणाली
द्वारा। नगर – तालाब, कुएँ नदियाँ एवं नगर वर्षा का संग्रहित जल (टैंक या डैम में), भौम जल आदि।

प्र० 3. क्या आप किसी क्रियाकलाप के बारे में जानते हैं जो इस जल के स्रोत को प्रदूषित कर रहा है।
उत्तर- हाँ, जल के स्रोत को प्रदूषित करने वाले क्रियाकलाप

  • शहर या नगर के नाले का जल और उद्योगों का कचरा नदियों तथा झीलों में प्रवाहित करना।
  • खेती में उपयोग किए गए उर्वरकों तथा पीड़कनाशियों द्वारा।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 222)

प्र० 1. मृदा (मिट्टी) का निर्माण किस प्रकार होता है?
उत्तर- मृदा निर्माण के कारक : निम्नलिखित हैं :

(i) सूर्य – दिन के समय सूर्य पत्थर को गर्म कर देता है जिससे वे प्रसारित (फैलना) हो जाते हैं। रात के समय ये पत्थर ठंडे हो जाते हैं और संकुचित हो जाते हैं। चूँकि पत्थर का प्रत्येक भाग असमान रूप से प्रसारित और संकुचित होता है। जिससे पत्थर में ऐसा बार-बार होने से दरारें पड़ जाती हैं और अंतत: छोटे-छोटे टुकड़ों में विभाजित हो जाते हैं।

(ii) पानी – पत्थरों की दरार में जल भरने तथा बाद में जम जाने पर दरारें अधिक चौड़ी हो जाती हैं। बहता जल कठोर पत्थरों को भी तोड़ देता है। तथा उन्हें अपने साथ बहा ले जाता है। ये पत्थर आपस में टकराकर छोटे-छोटे कणों में बदल जाते हैं। जल पत्थरों के इन कणों को अपने साथ ले जाता है और आगे निक्षेपित कर देता है। जिससे मृदा का निर्माण होता है।

(iii) वायु- जल की भाँति तेज हवाएँ भी पत्थरों को तोड़ देती हैं। पत्थर एक दूसरे से टकराने के कारण टूटते हैं। वायु जल की ही तरह बालु को एक स्थान से दूसरे स्थान तक उड़ा ले जाती है।

(iv) जीवित जीव – लाइकेन पत्थर की तरह उगते हैं। वे एक पदार्थ छोड़ते हैं जो पत्थर की सतह को चूर्ण के समान कर देता है तथा मृदा की एक पतली परत का निर्माण करता है। इस सतह पर मॉस (moss) जैसे दूसरे छोटे पौधे उगने लगते हैं और ये पत्थर को और अधिक तोड़ देते हैं। कभी-कभी बड़े पेड़ों की मूलें दरारों में चली जाती हैं जो इसे चौड़ा कर देती हैं।

प्र० 2. मृदा-अपरदन क्या है?
उत्तर- उपरि मृदा (Top soil) का वायु, जल द्वारा स्थानांतरित होना मृदा अपरदन कहलाता है। तेज़ हवाएँ – एक स्थान से दूसरे स्थान तक मृदा के कण ले जाती हैं। तेज बहता हुआ जल-मिट्टी में गड्ढे बना देते हैं जिसके कारण मृदा-अपरदन होता है। जंगलों की कटाई तथा पशुचारण द्वारा भी मृदा-अपरदन होता है।

प्र० 3. अपरदन को रोकने और कम करने के कौन-कौन से तरीके हैं?
उत्तर- अपरदन को रोकने और कम करने के निम्न तरीके हैं-

  • घास एवं वनस्पति स्थल बढ़ाकर-इससे ऊपरी सतह की मिट्टी, जल या वायु द्वारा बहकर या उड़कर नहीं जा पाती है।
  • वृक्षारोपण-पौधों की जड़े मिट्टी को कसकर पकड़े रहती हैं जिससे अपरदन नहीं हो पाता है।
  • सोपानी खेती (Terrace farming)
  • पशुचारण को नियंत्रित कर (cheeking the overgrazing by animals)
  • नदियों के किनारे मजबूत बाँध बनाकर (Embankment)
  • खेतों में समुचित जल निकास व्यवस्था द्वारा (Drainage canals)
  • सघन खेती द्वारा।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 227)

प्र० 1. जल-चक्र के क्रम में पानी की कौन-कौन सी अवस्थाएँ पाई जाती हैं।
उत्तर- जल-चक्र के क्रम में पानी की निम्नलिखित अवस्थाएँ पायी जाती हैं

  • द्रवीय अवस्था (जल) – विभिन्न जल स्रोतों; जैसे-झीलों में, नदियों में, भौम जल, समुद्रों में, तालाबों में आदि।
  • गैसीय अवस्था (जलवाष्प) – जल स्रोतों से वाष्पीकरण होता है तथा पत्तियों से वाष्पोत्सर्जन।
  • बादल – संघनित जलवाष्प बादलों में मौजूद होते।
  • ठोस (बर्फ) – ओले (हिमपात) बर्फबारी आदि के रूप में।

प्र० 2. जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण दो यौगिकों के नाम दीजिए जिनमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाए जाते हैं?
उत्तर- जैविक रूप से महत्त्वपूर्ण दो यौगिक जिनमें ऑक्सीजन और नाइट्रोजन दोनों पाए जाते हैं; वे निम्न हैं :

  1. न्यूक्लिक अम्ल (DNA तथा RNA)
  2. प्रोटीन

प्र० 3. मनुष्य की किन्हीं तीन गतिविधियों को पहचानें जिनसे वायु में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ती है।
उत्तर- तीन क्रियाकलाप निम्नलिखित हैं

  • जंतुओं द्वारा श्वसन प्रक्रिया में CO2 गैस मुक्त होती है।
  • जीवाश्म ईंधनों; जैसे-कोयला, पेट्रोल, डीजले आदि को जलाना।
  • पेड़ काटना (deforestation)

प्र० 4. ग्रीन हाउस प्रभाव क्या है?
उत्तर- कुछ गैसै मुख्यत: CO2 और मेथेन पृथ्वी के वायुमंडल से उष्मा को बाहर जाने से रोकती हैं। वायुमंडल में इस प्रकार की गैसों में वृद्धि से संसार का तापमान बढ़ जाता है। इस प्रकार के प्रभाव को ग्रीन हाउस प्रभाव कहते हैं।

प्र० 5. वायुमंडल में पाए जाने वाले ऑक्सीजन के दो रूप कौन-कौन से हैं?
उत्तर-
(i) ऑक्सीजतन के अंणु : O2 (द्विपरमाण्विक अणु)
(ii) ओजोन : O3 (त्रिपरमाण्विक अणु)

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. जीवन के लिए वायुमंडल क्यों आवश्यक है?
उत्तर- जीवन के लिए वायुमंडल अनेक कारणों से आवश्यक हैं, उनमें से कुछ निम्न हैं :

  • ऑक्सीजन श्वसन ज्वलन (burning) एवं दहन (combustion) के लिए जरूरी होता है।
  • प्रकाशसंश्लेषण प्रक्रिया के लिए पौधों को CO2 वायुमंडल से मिलता है।
  • ओजोन परत हानिकारक U.V. किरणों से हमारी सुरक्षा करती है। यह परत इन किरणों को अवशोषित कर लेती है और पृथ्वी की सतह तक इसे पहुँचने से रोकती है।
  • इसमें O2, CO2, N2 आदि गैसें पाई जाती हैं जो विभिन्न जैव प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य होता है।
  • जल में घुलनशील CO2 कार्बोनेट का निर्माण करती है जो जलीय जीवों के कवच (Shells) के निर्माण के लिए जरूरी होता है।
  • दिन के तापमान को अचानक बढ़ने से रोकता है तथा रात के समय ऊष्मा को बाहरी अंतरिक्ष में जाने से रोकता है।

प्र० 2. जीवन के जल क्यों अनिवार्य है?
उत्तर-

  • पानी एक अद्भुत द्रव है जिसे सार्व-विलायक कहा जाता है। यह पौधों तथा जंतुओं के शरीर में सभी चीजों को घोल लेता है।
  • जीवों के शरीर के भीतर पदार्थों का संवहन घुली हुई अवस्था में होता है।
  • लगभग सभी प्राणियों को जीवित रखने के लिए जल की आवश्यकता होती है।
  • जल कुछ जंतुओं/पौधों हेतु आवास (Habitat) का कार्य करता है।
  • हमारे शरीर के अंदर सभी कोशिकीय प्रक्रियाएँ जलीय माध्यम में होती हैं।
  • पौधों को सिंचाई के लिए पानी आवश्यक होता है। इसके कारण ही बीजों का अंकुरण संभव होता है।
  • हमारे शरीर के भार का 70% जल के कारण है।
  • पानी का उपयोग पीने, नहाने, धोने सफ़ाई करने, मछली संवर्धन, दवाई बनाने जैसे अनेक कार्यों में होता है।
  • जलीय जंतु; जैसे-मेंढक, मछली आदि जल में घुली हुई ऑक्सीजन द्वारा श्वसन क्रिया संपन्न करते हैं।
  • प्रकाशसंश्लेषण क्रिया के लिए भी जल आवश्यक होता है।

प्र० 3. जीवित प्राणी मृदा पर कैसे निर्भर हैं? क्या जल में रहने वाले जीव संपदा के रूप में मृदा से पूरी तरह स्वतंत्र हैं?
उत्तर- मृदा खनिजों का मिश्रण है जिसमें खनिज, ह्युमस (Humus), जल तथा वायु होते हैं। पौधे अपना खनिज पोषक तत्व जल, वायु, मिट्टी से प्राप्त कर भोजन बनाते हैं। शाकाहारी जीव पौधों पर तथा मांसाहारी जीव शाकाहारी जीवों पर निर्भर करते हैं। इसके अलावा मृदा में अनेक जीव जैसे केंचुए, चीटियाँ, दीमक, बैक्टीरिया और फंजाई आदि भी पाए जाते हैं। जलीय जीव भी मृदा से पूर्णतः स्वतंत्र नहीं हैं। वे भी मृदा पर निर्भर करते हैं। सूक्ष्मजीव (जैसे फंजाई बैक्टीरिया) जो समुद्र के निचले परत (bottom sedidonts) में पाए जाते हैं, सड़े-गले जीवों, कार्बनिक पदार्थों को विघटित कर अकार्बनिक पदार्थों [खनिज (minerals)] में बदल देते हैं। ये खनिज जल में घुलकर जलीय पौधों के लिए पोषक तत्व प्रदान करती है और अप्रत्यक्ष रूप से जंतुओं को भी। इसके अलावा पोषक तत्व मृदा से बहकर भी जल में चले जाते हैं।

प्र० 4. आपने टेलीविज़न पर और समाचारपत्र में मौसम संबंधी रिपोर्ट को देखा होगा। आप क्या सोचते हैं कि हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं?
उत्तर- हाँ, हम मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम हैं। वर्षा का पैटर्न पवनों के पैटर्न पर निर्भर करता है। इसलिए निम्न दाब तथा उच्च दाब के क्षेत्र का अध्ययन करके वर्षा का पूर्वानुमान कर सकते हैं।

अतः किसी स्थान के तापमान, आर्द्रता, वायु की गति (wind speed) तथा कंप्यूटर में संग्रहित पूर्व वर्षों के डाटा के आधार पर मौसम वैज्ञानिक (meteorologists) मौसम के पूर्वानुमान में सक्षम होते हैं। इसमें सैटेलाइट भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्र० 5. हम जानते हैं कि बहुत-सी मानवीय गतिविधियाँ वायु, जल एवं मृदा के प्रदूषण-स्तर को बढ़ा रहे हैं। क्या आप सोचते हैं कि इन गतिविधियों को कुछ विशेष क्षेत्रों में सीमित कर देने से प्रदूषण के स्तर को घटाने में मदद मिलेगी?
उत्तर- हाँ, प्रदूषण के स्तर को घटाने में कुछ अंश तक सहायता मिलती है। इससे मृदा प्रदूषण को तो बिलकुल कम किया जा सकता है परंतु जल और वायु प्रदूषण को नियंत्रित करना कठिन होता है। जैसे वायु प्रदूषण के कारणः-

  • अम्लीय वर्षा
  • वैश्विक ऊष्मीकरण ग्रीन हाउस गैसों (CO2 मिथेन) के कारण होता है।
  • ओजोन परत में छिद्र (CFCs) के कारण।

उपर्युक्त सभी का प्रभाव पर्यावरण पर व्यापक रूप से होता है। इसी प्रकार, प्रदूषित जल नदियों, जलाशयों, समुद्रों में दूर-दूर तक बहकर चली जाती हैं भौम जल (Underground water) नालों, उद्योगों के कचरे (Industrial wastes), कृषि में प्रयुक्त कीटनाशकों, उर्वरकों द्वारा बड़े क्षेत्र को प्रभावित करती है।

प्र० 6. जंगल वायु, मृदा तथा जलीय स्रोत की गुणवत्ता को कैसे प्रभावित करते हैं?
उत्तर- जंगल की भूमिका वायु

  • यह प्रदूषण को अवशोषित कर वायु का शुद्धीकरण करता है।
  • CO2 और O2 का समुचित अनुपात बनाए रखने में सहायता करता है (प्रकाश संश्लेषण द्वारा)।
  • यह वाष्पोत्सर्जन क्रिया द्वारा बादल निर्माण तथा आस-पास के परिवेश का तापमान कम करता है।

मिट्टी/मृदा

  • पौधों की जड़ें मिट्टी को मजबूती से जकड़े रखती है। फलतः ये मृदा अपरदन को नियंत्रित करती हैं।
  • मिट्टी की गुणवत्ता पौधों और जंतुओं के मृत अवशेषों के विघटन द्वारा ह्यूमस निर्माण से अच्छी होती है।
  • मृदा के ऊपर वनस्पति होने के कारण मिट्टी के अंदर जल रिसाव (Percolation) अच्छी तरह होता है। जिससे भौम जल के स्तर में वृद्धि होती है।
  • भूमि का खिसकना (land slides) नियंत्रित होता है।

जल

  • जंगल के कारण वर्षा अधिक होती है।
  • बाढ़ नियंत्रण में सहायता करता है।
  • भौम जल में वृद्धि करता है।
  • जल-चक्र और पृथ्वी के तापमान का नियमन करता है।

Class 9 science chapter 13 question answer | कक्षा 9 विज्ञान पाठ 13 के प्रश्न उत्तर | कक्षा 9 विषय विज्ञान पाठ 13 के प्रश्न उत्तर | हम बीमार क्यों होते है कक्षा 9 विज्ञान |

पाठगत हल प्रश्न (NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED)

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 200)

प्र० 1. अच्छे स्वास्थ्य की दो आवश्यक स्थितियाँ बताइए।
उत्तर- अच्छे स्वास्थ्य की आवश्यक स्थितियाँ निम्न हैं –
(i) उपयुक्त एवं संतुलित आहार
(ii) अच्छा भौतिक पर्यावरण
(iii) अच्छा सामाजिक पर्यावरण ।
(iv) अच्छी आर्थिक स्थितियाँ तथा कार्य

प्र० 2. रोगमुक्ति की कोई दो आवश्यक परिस्थितियाँ बताइए।
उत्तर- (i) व्यक्तिगत एवं घरेलू स्वच्छता
(ii) सामुदायिक स्वच्छता

प्र० 3. क्या उपर्युक्त प्रश्नों के उत्तर एक जैसे हैं अथवा भिन्न? क्यों?
उत्तर- हाँ, दोनों प्रश्नों के उत्तर एक जैसे हैं। क्योंकि यदि अच्छा स्वास्थ्य होगा तो हम रोगमुक्त भी होंगे। अतः अच्छे स्वास्थ्य एवं रोगमुक्त रहने के लिए आवश्यक स्थितियाँ समान हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 203)

प्र० 1. ऐसे तीन कारण लिखिए, जिससे आप सोचते हैं कि आप बीमार हैं तथा चिकित्सक के पास जाना चाहते हैं। यदि इनमें से एक भी लक्षण हो तो क्या आप फिर भी चिकित्सक के पास जाना चाहेंगे? क्यों अथवा क्यों नहीं?
उत्तर- ऐसे तीन कारण हैं-

  1. सिरदर्द
  2. ठंड लगना और खाँसी होना
  3. लगातार दस्त होना।

ऐसे अनेक प्रकार के लक्षण हो सकते हैं। हमें चिकित्सक के पास जाना चाहिए क्योंकि यह जानना आवश्यक होता है कि ये लक्षण वास्तव में किस बीमारी के कारण हो रहा है। उदाहरणार्थ, सिरदर्द कई बीमारियों के कारण हो सकता है। अतः रोग के लक्षण से रोग का पता नहीं चलता इसलिए जाँच करवानी चाहिए।

प्र० 2. निम्नलिखित में से किसके लंबे समय तक रहने के कारण आप समझते हैं कि आपके स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा तथा क्यों?

  • यदि आप पीलिया से ग्रस्त हैं।
  • यदि आपके शरीर पर जूं (lice) हैं।
  • यदि आप मुँहासों से ग्रस्त हैं।

उत्तर- हूँ एक परजीवी है जो कुछ समय तक आपके शरीर पर रहती है और इसका कोई दीर्घकालिक प्रभाव नहीं पड़ता है। इसी प्रकार मुँहासे भी कुछ समय बाद ठीक हो जाते हैं। यानी इन दोनों रोगों का प्रभाव लंबे समय तक नहीं रहता तथा आसानी से ठीक हो जाते हैं। परंतु पीलिया रोग का प्रभाव दीर्घकालिक होता है और इसमें जिगर (यकृत) की कार्यविधि क्षतिग्रस्त हो जाती है। इसलिए यदि आप पीलिया रोग से ग्रस्त हैं तो स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 210)

प्र० 1. जब हम बीमार होते हैं तो आपको सुपाच्य तथा पोषणयुक्त भोजन खाने का परामर्श क्यों दिया जाता है?
उत्तर- बीमार होने पर सुपाच्य भोजन द्वारा हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है। क्योंकि बीमार होने पर हमारा पाचनतंत्र कमजोर हो जाता है तथा हमारी भूख कम हो जाती है। सुपाच्य भोजन नरम होता है और आसानी से पचकर शरीर द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। पोषणयुक्त भोजन से रोग के विरुद्ध लड़ने की शक्ति बढ़ती है। तथा यह कमजोर पड़ गए प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती प्रदान करती है। पोषणयुक्त भोजन से विटामिन, मिनरल (minerals) एवं अन्य पोषक तत्वों की क्षतिपूर्ति हो जाती है। भोजन हमें ऊर्जा देता है तथा हमारे टूटे-फूटे ऊतकों की मरम्मत भी करता है।

प्र० 2. संक्रमण रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ कौन-कौन सी हैं?
उत्तर- संक्रमण रोग फैलने की विभिन्न विधियाँ निम्न हैं –
(a) कई रोग हवा के माध्यम से फैलते है; जैसे खांसी-जुकाम, क्षय रोग आदि वायु के द्वारा बैक्टीरिया, वायरस आदि सूक्ष्मजीव इन रोगों को संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक फैलाते हैं।

(b) अप्रत्यक्ष संपर्क द्वारा; जैसे-बिस्तर, खाने-पीने के बर्तन, कपड़े आदि के संपर्क से।

(c) प्रत्यक्ष संपर्क द्वारा; जैसे-अनेक रोग प्रत्यक्ष संपर्क | जैसे लैंगिक क्रियाओं द्वारा फैलते हैं; जैसे-AIDS और सिफलिस ऐसे रोग सामान्य संपर्क; जैसे—हाथ मिलाने, खेलकूद, कुश्ती आदि से नहीं फैलते हैं।

(d) दूषित भोजन/पानी द्वारा; जैसे-दूषित पानी से हैजा, कोलरा, टाइफाइड तथा हेपेटाइटिस।

(e) मच्छर/कीट के द्वारा; जैसे-मलेरिया, डेंगू आदि।

(f) संक्रमित पशु द्वारा; जैसे-कुत्तों, बंदरों आदि के काटने पर रैबीज फैलता है।
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 13 (Hindi Medium) 1

प्र० 3. संक्रमण रोगों को फैलने से रोकने के लिए आपके विद्यालय में कौन-कौन सी सावधानियाँ आवश्यक हैं?
उत्तर- निम्नलिखित सावधानियाँ रखकर संक्रामक रोगों का फैलना कम किया जा सकता है

  • साफ़ पेयजल उपलब्ध कराना।
  • टिफिन खाने के पूर्व हाथ अच्छी तरह साफ़ करना।
  • विद्यालय परिसर में एवं इसके आसपास सफ़ाई का ध्यान रखना।
  • यदि कोई बीमार हो तो उसे घर पर ही आराम करने की सलाह देना।
  • टीके लगवाना आदि।
  • छात्रों के विभिन्न संक्रामक रोगों के फैलने के कारणों से परिचित करवाना; जैसे-कोलरा, हेपेटाइटिस, फ्लू (Flue) AIDS आदि।
  • विद्यालय के आसपास ठहरा हुआ जल एकत्रित नहीं होने देना।
  • संतुलित एवं पौष्टिक आहार लेने की प्रेरणा देनी चाहिए।

प्र० 4. प्रतीरक्षीकरण क्या होता है?
उत्तर- जब हमारा शरीर किसी रोग के विरुद्ध टीकाकरण द्वारा प्रतिरक्षा प्राप्त कर लेता है तो इस प्रक्रिया को प्रतीरक्षीकरण कहते हैं। प्रतिरक्षा पौष्टिक आहार से भी प्राप्त की जाती है।

प्र० 5. आपके पास में स्थिति स्वास्थ्य केंद्र में टीकाकरण के कौन से कार्यक्रम उपलब्ध हैं? आपके क्षेत्र में कौन-कौन सी स्वास्थ्य संबंधी मुख्य समस्या हैं?
उत्तर- हमारे घर के पास स्वास्थ्य केंद्र में निम्नलिखित
टीकाकरण कार्यक्रम उपलब्ध हैं

  • पोलियो, B.C.G. (जन्म के बाद तुरंत)
  • D.PT.-डिपथीरिया, कुकुर खाँसी और टेटनस के लिए [6 सप्ताह से 9 सप्ताह)
  • बूस्टर डोज, चेचक, हेपेटाइटिस A, B आदि (9-19 माह तक)।
  • H,NI की जाँच (H,N, Screening programme) झुग्गी-झोंपड़ियों वाले इलाकों (Slum areas) में आज भी पोलियो रोग के शिकार मिल जाते हैं। जोकि एक मुख्य समस्या है इसके अलावा मलेरिया, रैबीज़ आदि की भी समस्या है।

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. पिछले एक वर्ष में आप कितनी बार बीमार हुए? बीमारी क्या थीं?
(a) इन बीमारियों को हटाने के लिए आप अपनी दिनचर्या में क्या परिवर्तन करेंगे?
(b) इन बीमारियों से बचने के लिए आप अपने पास-पड़ोस में क्या परिवर्तन करना चाहेंगे?
उत्तर- पिछले एक वर्ष में मुझे एक बार मलेरिया बुखार तथा दूसरी बार दस्त हुई थी।
(a) मैंने अपनी दिनचर्या में निम्नलिखित परिवर्तन किए
(i) सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग।
(ii) वर्षा ऋतु में पूरी बाजू (आस्तीन) वाले। कमीज और पतलून पहनना शुरू किया।

(b) पास-पड़ोस में परिवर्तन :
(i) आसपास पानी जमा नहीं होने दिया।
(ii) पानी की टंकी को साफ़ तथा ढककर रखना शुरू किया।
(iii) खिड़कियों में तथा दरवाजों में तार की जाली लगवाया।

दस्त से बचने के उपाय :
(a) पानी में कलोरीन की गोलियाँ डालकर रोगाणुमुक्त करना, पानी गर्म करके प्रयोग करना, पानी फ़िल्टर करके प्रयोग करना, घर का ताजा बना हुआ भोजन इस्तेमाल करना।
(b) आसपास साफ-सफ़ाई का ध्यान रखना ताकि मक्खियाँ, मच्छर आदि पैदा न हो सके।

प्र० 2. डॉक्टर/नर्स/स्वास्थ्य कर्मचारी अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा रोगियों के संपर्क में अधिक रहते हैं। पता करो कि वे अपने आपको बीमार होने से कैसे बचाते हैं?
उत्तर- डॉक्टर/नर्स/स्वास्थ्य कर्मचारी निम्न तरीकों से
अपने – आपको बीमार होने से बचाते हैं
(i) वे रोगी को छूते समय हाथों पर दस्ताने पहनते हैं।
(ii) फिनाइल आदि के द्वारा कार्यस्थल को विसंक्रमित (Sterilised) करते हैं।
(iii) वे मास्क का प्रयोग करते हैं ताकि रोग के कीटाणु नाक और मुँह से उसके शरीर में न जा पाए।
(iv) किसी संक्रमित व्यक्ति को स्पर्श करने के बाद साबुन और रोगाणुरोधक लोशन (Antisepticlotion) से हाथ धो लेते हैं।
(v) साफ़ कपड़े पहनते हैं तथा विसंक्रमित उपकरणों (Sterilised Equipments) का प्रयोग करते

प्र० 3. अपने आस-पड़ोस में एक सर्वेक्षण कीजिए तथा पता लगाइए कि सामान्यता कौन-सी तीन बीमारियाँ होती हैं। इन बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए अपने स्थानीय प्रशासन को तीन सुझाव दें।
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 13 (Hindi Medium) 2

प्र० 4. एक बच्चा अपनी बीमारी के विषय में नहीं बता पा रही है। हम कैसे पता करेंगे कि
(a) बच्चा बीमार है?
(b) उसे कौन-सी बीमारी है?
उत्तर-
(a) बीमारी के लक्षण से पता चलता है कि बच्चा बीमार है या स्वस्थ। बीमार बच्चा सामान्य से अधिक रोता है, खाना नहीं खाएगा, बेचैन रहेगा। कुछ अन्य लक्षण हैंशरीर का तापमान बढ़ना (बुखार), खाँसी साँस लेने में परेशानी, दस्त, उल्टी, ठंड लगना, शरीर पर दाने इत्यादि।

(b) वह बच्चा बार-बार उस अंग को स्पर्श करेगा जहाँ उसे कोई कष्ट है। वह उसी तरफ झुकेगा और अकड़ेगा।

प्र० 5. निम्नलिखित किन परिस्थितियों में कोई व्यक्ति पुनः बीमार हो सकता है? क्यों?
(a) जब वह मलेरिया से ठीक हो रहा हो।
(b) जब वह मलेरिया से ठीक हो चुका है और वह चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है?
(c) मलेरिया से ठीक होने के बाद चार दिन उपवास करता है और चेचक के रोगी की सेवा कर रहा है।
उत्तर- उपरोक्त विकल्पों में से (c) में बताए गए परिस्थितियों में वह पुनः बीमार हो सकता है।
कारण : बीमार होने के बाद व्यक्ति के शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। चार दिन उपवास के बाद शरीर का प्रतिरक्षा तंत्र और भी कमजोर हो जाएगा, जिसे चेचक जैसे छूत की बीमारी होने की संभावना अधिक होगी।

प्र० 6. निम्नलिखित में से किन परिस्थितियों में आप बीमार हो सकते हैं? क्यों?
(a) जब आपकी परीक्षा का समय है?
(b) जब आप बस या रेलगाड़ी में दो दिन तक यात्रा कर चुके हैं?
(c) जब आपका मित्र खसरा से पीड़ित है।
उत्तर- आप परिस्थिति (b) तथा (c) में बीमार हो सकते हैं

(b) बस या रेलगाड़ी में अनेक लोग यात्रा करते हैं। यदि कोई व्यक्ति संक्रामक बीमारी से पीड़ित होगा तो उसके संपर्क में आने से आप भी बीमार हो सकते हैं। इसका दूसरा कारण यह भी है कि यात्री के दौरान खाने-पीने में तथा सोने में भी असुविधा होती है जिससे प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है।

(c) खसरा एक संक्रामक रोग है। यदि आपने खसरे का टीका नहीं लगवाया हो तो उसके पास बैठने, बातें करने, एक साथ खाने, उसकी वस्तुओं को छूने से खसरे के वायरस से संक्रमित हो सकते हैं और बीमार हो सकते हैं।

कक्षा 9 विज्ञान पाठ 12 के प्रश्न उत्तर | Class 9 science chapter 12 question answer | class 9 science chapter 12 question answer in hindi | कक्षा 9 विज्ञान पाठ 12 pdf |

पाठगत हल प्रश्न (NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED)

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 182)

प्र० 1. किसी माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ आपके कानों तक कैसे पहुँचता है?
उत्तर- जब कोई वस्तु कंपन करती है तो अपने चारों ओर
माध्यम के कणों को भी कंपमान कर देती है। ये कण कंपमान वस्तु से स्वयं चलकर हमारे कानों तक नहीं पहुँचते हैं बल्कि कंपमान वस्तु के सबसे नजदीक वाले माध्यम के कण अपनी संतुलित अवस्था से विस्थापित हो जाते हैं जो अपने निकटवर्ती कण पर बल लगाकर उसे भी विस्थापित कर देते हैं तथा प्रारंभिक कण वापस अपनी मूल अवस्था में लौट आते हैं। माध्यम में यह प्रक्रिया तब तक चलती रहती है जब तक कि ध्वनि हमारे कानों तक नहीं पहुँच जाती है। इस तरह माध्यम में ध्वनि द्वारा उत्पन्न विक्षोभ (माध्यम के कण नहीं) माध्यम से होता हुआ संचरित होता है।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 182)

प्र० 1. आपके विद्यालय की घंटी, ध्वनि कैसे उत्पन्न करती है?
उत्तर- हमारे विद्यालय की घंटी मिश्रधातु से बनी होती है। जिसे हथौड़े की चोट से कंपमान किया जाता है। कंपन के कारण हवा में विक्षोभ उत्पन्न होता है। तरंग एक विक्षोभ है जो हवा में आगे-पीछे कंपन करती हुई हमारे कानों तक पहुँच जाती है। माध्यम के कण केवल दोलन करते हैं और विक्षोभ आगे बढ़ जाता है।

प्र० 2. ध्वनि तरंगों को यांत्रिक तरंगें क्यों कहते हैं?
उत्तर- ध्वनि तरंगों के गमन के लिए किसी माध्यम; जैसे-वायु, जल स्टील आदि की आवश्यकता होती है। यह निर्वात से होकर नहीं चल सकती। ध्वनि तरंगें तभी संचरित हो सकती हैं जब उसके माध्यम के कण आगे-पीछे कंपन करें और विक्षोभ आगे बढ़ जाए।

प्र० 3. मान लीजिए कि आप अपने मित्र के साथ चंद्रमा पर गए हुए हैं। क्या आप अपने मित्र द्वारा उत्पन्न ध्वनि को सुन पाएँगे?
उत्तर- नहीं, क्योंकि ध्वनि तरंग के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता होती है जबकि चंद्रमा पर वायुमंडल नहीं होता है।
अतः निर्वात में ध्वनि संचरित नहीं हो सकती।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 186)

प्र० 1. तरंग का कौन-सा गुण निम्नलिखित को निर्धारित करता
(a) प्रबलता,
(b) तारत्व।
उत्तर-
(a) प्रबलता (Loudness): ध्वनि की प्रबलता कंपन का आयाम निर्धारित करती है। जितना अधिक आयाम होगा, ध्वनि उतनी ही प्रबल होगी।

(b) तारत्व (Pitch): ध्वनि का तारत्व कंपन की आवृत्ति निर्धारित करता है। जितना अधिक आवृत्ति होगी, उतना अधिक तारत्व होगा।

प्र० 2. अनुमान लगाइए कि निम्न में से किस ध्वनि का तारत्व अधिक है?
(a) गिटार, (b) कार का हार्न।
उत्तर- (b) कार का हार्न।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 186)

प्र० 1. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य, आवृत्ति, आवर्त काल तथा आयाम से क्या अभिप्राय है?
उत्तर- तरंगदैर्घ्य (Wavelength): दो क्रमागत संपीडनों (C) या क्रमागत विरलनों (R) के बीच की दूरी तरंगदैर्ध्य कहलाती है। तरंगदैर्घ्य को λ (ग्रीक अक्षर लैम्डा) से निरूपित किया जाता है। इसका SI मात्रक मीटर (m) है।

  • विकल्पतः एक पूर्ण दोलन (Oscillation) में कोई तरंग जितनी दूरी तय करती है, उसे तरंगदैर्ध्य कहते
  • आवृत्ति (Frequency): एकांक समय में होने वाले दोलनों की कुल संख्या को आवृत्ति कहते हैं। इसे v (ग्रीक अक्षर, न्यू) से प्रदर्शित (निरूपित) किया जाता है। आवृत्ति का SI मात्रक हर्ट्ज (hertz) है। जिसे प्रतीक Hz से व्यक्त करते हैं।
  • आवर्त काल (Time period): तरंग द्वारा माध्यम के घनत्व के एक संपूर्ण दोलन में लिए गए समय को आवर्त काल (T) कहते हैं। दूसरे शब्दों में दो क्रमागत संपीडनों या दो क्रमागत विरलनों को किसी निश्चित बिंदु से गुजरने में लगे समय को तरंग का आवर्त काल कहते हैं। इसका SI मात्रक सेकंड (S) है।
  • आयाम (Amplitude): किसी तरंग के संचरण में माध्यम के कणों का मूल स्थिति के दोनों ओर अधिकतम विस्थापन (या विक्षोभ) आयाम कहलाता है। इसे साधारणतः ‘A’ द्वारा निरूपित किया जाता है। इसका मात्रक दाब या घनत्व का मात्रक होता है। ध्वनि की प्रबलता अथवा मृदुता मूलत: इसके आयाम से ज्ञात की जाती है।

प्र० 2. किसी ध्वनि तरंग की तरंगदैर्घ्य तथा आवृत्ति उसके वेग से किस प्रकार संबंधित है?
उत्तर- तरंग का वेग = आवृत्ति x तरंगदैर्घ्य υ = v x λ.

प्र० 3. किसी दिए हुए माध्यम में एक ध्वनि तरंग की आवृत्ति 220 Hz तथा वेग 440 m/s है। इस तरंग की तरंगदैर्घ्य परिकलित कीजिए।
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 12 (Hindi Medium) 1

प्र० 4. किसी ध्वनिस्रोत के 450 m दूरी पर बैठा हुआ कोई मनुष्य 500 Hz की ध्वनि सुनता है। स्रोत से मनुष्य के पास तक पहुँचने वाले दो क्रमागत संपीडनों में कितना समय अंतराल होगा?
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 12 (Hindi Medium) 2
नोटः [क्रमागत संपीडनों के बीच लगा समय अर्थात आवर्त काल T वस्तु की स्थिति (दूरी d = 450 m) पर निर्भर नहीं करता है। यह केवल भ्रमित करने के लिए दिया गया है ताकि छात्रों के कौशल की सही जाँच की जा सके।]

NCERT पाठ्यपुस्तक ( पृष्ठ संख्या 187)

प्र० 1. ध्वनि की प्रबलता और तीव्रता में अंतर बताइए।
उत्तर-
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 12 (Hindi Medium) 3

NCERT पाठ्यपुस्तक ( पृष्ठ संख्या 188 )

प्र० 1. वायु, जल या लोहे में से किस माध्यम में ध्वनि सबसे तेज चलती है?
उत्तर- दिए गए माध्यमों में से ध्वनि, एक खास तापमान पर लोहे में सबसे तेज चलती है।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 189)

प्र० 1. कोई प्रतिध्वनि 3s पश्चात सुनाई देती है। यदि ध्वनि की चाल 342 m s-1 हो तो स्रोत तथा परावर्तक पृष्ठ के बीच कितनी दूरी होगी?
उत्तर- वायु में ध्वनि की चाल = 342 m/s
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 12 (Hindi Medium) 4

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 190)

प्र० 1. कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार क्यों होती हैं?
उत्तर- कंसर्ट हॉल की छतें वक्राकार इसलिए बनाई जाती हैं। ताकि परावर्तन के बाद ध्वनि हॉल के सभी भागों में पहुँच जाए। वक्राकार छतें वास्तव में एक बड़े अवतल ध्वनि-पट्ट (Sound board) की तरह कार्य करती हैं जो ध्वनि को नीचे सभी स्रोताओं (Audience) तक परावर्तित कर पहुँचा देती हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 191)

प्र० 1. सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परिसर क्या है?
उत्तर- सामान्य मनुष्य के कानों के लिए श्रव्यता परिसर
20 Hz से 20,000 Hz (या 20 kHz) है।

प्र० 2. निम्न से संबंधित आवृत्तियों का परिसर क्या है?
(a) अवश्रव्य ध्वनि
(b) पराध्वनि
उत्तर-
(a) 20 Hz से कम आवृत्ति की ध्वनियों को अवश्रव्य ध्वनि कहते हैं।
(b) 20 kHz या 20,000 Hz से अधिक आवृत्ति की। ध्वनियों को पराध्वनि या पराश्रव्य ध्वनि कहते हैं।

NCERT पाठ्यपुस्तक ( पृष्ठ संख्या 193)

प्र० 1. एक पनडुब्बी सोनार स्पंद उत्सर्जित करती है, जो पानी के अंदर एक खड़ी चट्टान से टकराकर 1.02s के पश्चात् वापस लौटता है। यदि खारे पानी में ध्वनि की चाल 1531 m/s हो, तो चट्टान की दूरी ज्ञात कीजिए।
NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 12 (Hindi Medium) 5

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. ध्वनि क्या है और यह कैसे उत्पन्न होती है?
उत्तर- ध्वनि ऊर्जा का एक रूप है जिसके कारण हम सुन पाते हैं। ध्वनि तभी उत्पन्न होती है जब कोई वस्तु कंपन (Vibrate) करती है; जैसेः सितार के तार का कंपन करना।

प्र० 2. एक चित्र की सहायता से वर्णन कीजिए कि ध्वनि के स्रोत के निकट वायु में संपीडन तथा विरलन कैसे उत्पन्न होते हैं?
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माना कि स्वरित्र द्विभुज (Tuning fork) ध्वनि का स्त्रोत है।
(i) जब यह आगे की ओर कंपन करती है तो अपने सामने की वायु को धक्का देकर संपीडित करती है और इस प्रकार एक उच्च दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है। इस क्षेत्र को संपीडन (C) कहते हैं।
(ii) यह संपीडन कंपमान वस्तु जैसे ट्यूनिंग फॉर्क से दूर आगे की ओर गति करता है।
(iii) जब ट्यूनिंग फॉर्क की भुजा वापस अंदर की ओर (पीछे की ओर) कंपनं करता है तो एक निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है जिसे विरलन (R) कहते हैं।
(iv) इस तरह जब वस्तु कंपन करती है तो वायु में संपीडन और विरलन की एक श्रेणी बन जाती है। यही संपीडन और विरलन ध्वनि तरंग बनाते हैं जो माध्यम से होकर संचरित होती

प्र० 3. किस प्रयोग से यह दर्शाया जा सकता है कि ध्वनि संचरण के लिए एक द्रव्यात्मक माध्यम की आवश्यकता होती है?
उत्तर- विधि :

  • एक विद्युत घंटी और काँच का वायुरुद्ध बेलजार लीजिए। विद्युत घंटी को बेलजार में लटकाइए।
  • बेलजार को एक निर्वात पंप से जोड़िए।
  • घंटी के स्विच को दबाने पर आप उसकी ध्वनि सुन सकते हैं।
  • अब निर्वात पंप को चलाइए और प्रेक्षणों को नोट कीजिए।
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    प्रेक्षण :
    (i) जैसे-जैसे अधिकाधिक वायु पात्र से निकाली जाती है; घंटी की ध्वनि धीमी होती जाती है।
    (ii) जब बेलजार से संपूर्ण वायु निकल जाती है। ध्वनि बिलकुल नहीं सुनी जा सकती है। अतः ध्वनि तरंगों को ले जाने के लिए द्रव्यात्मक माध्यम आवश्यक है।
    निष्कर्ष : ध्वनि द्रव्यमान माध्यम के बिना संचारित नहीं हो सकती।

प्र० 4. ध्वनि तरंगों की प्रकृति अनुदैर्ध्य क्यों है?
उत्तर- जब माध्यम के कणों का विस्थापन तरंग संचरण की दिशा के समांतर हो तो उसे अनुदैर्ध्य तरंग कहते हैं। ध्वनि तरंग संपीडन (C) और विरलन (R) के रूप में संचरित होती है तथा माध्यम (वायु) के कण आगे-पीछे तरंग के संचरण की समांतर दिशा में गति करते हैं।
अतः ध्वनि तरंगों को अनुदैर्घ्य तरंग कहते हैं।

प्र० 5. ध्वनि का कौन-सा अभिलक्षण किसी अन्य अंधेरे कमरे में बैठे आपके मित्र की आवाज पहचानने में आपकी सहायता करता है?
उत्तर- ध्वनि की गुणता (Quality or timber)

प्र० 6. तड़ित की चमक तथा गर्जन साथ-साथ उत्पन्न होते हैं। लेकिन चमक दिखाई देने के कुछ सेकंड पश्चात् गर्जन सुनाई देती है। ऐसा क्यों होता है?
उत्तर- ऐसा प्रकाश की काफी उच्च चाल के कारण होता है।
प्रकाश को चाल (C = 3 x 108 m/s) है जबकि ध्वनि का चाल 346 m/s (25°C पर) होता है।
स्पष्टतः ध्वनि को आकाश से धरती तक आने में कुछ समय लग जाता है परंतु प्रकाश लगभग तुरंत दिखाई देती है।

प्र० 7. किसी व्यक्ति का औसत श्रव्य परिसर 20 Hz से 20 kHz है। इन दो आवृत्तियों के लिए ध्वनि तरंगों की तरंगदैर्घ्य ज्ञात कीजिए।
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प्र० 8. दो बालक किसी एलुमिनियम पाइप के दो सिरों पर हैं। एक बालक पाइप के एक सिरे पर पत्थर से आघात करता है। दूसरे सिरे पर स्थित बालक तक वायु तथा ऐलुमिनियम से होकर जाने वाली ध्वनि तरंगों द्वारा लिए गए समय को अनुपात ज्ञात कीजिए।
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प्र० 9. किसी ध्वनि स्रोत की आवृत्ति 100 Hz है। एक मिनट में यह कितनी बार कंपन करेगा?
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प्र० 10. क्या ध्वनि परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं? इन नियमों को बताइए।
उत्तर- हाँ, ध्वनि भी परावर्तन के उन्हीं नियमों का पालन करती है जिनका कि प्रकाश की तरंगें करती हैं। ध्वनि के परावर्तन का नियमः
(i) आपतित ध्वनि तरंग, परावर्तित ध्वनि तरंग तथा आपतन बिंदु पर खींचे गए अभिलंब। ये तीनों एक ही तल में होते हैं।
(ii) परावर्तक पृष्ठ के आपतन बिंदु पर खींचे गए अभिलंब तथा ध्वनि के आपतन होने की दिशा तथा परावर्तन होने की दिशा के बीच का कोण
आपस में बराबर होते हैं।
i.e., ∠i = ∠r

प्र० 11. ध्वनि का एक स्रोत किसी परावर्तक पृष्ठ के सामने रखने पर उसके द्वारा प्रदत्त ध्वनि तरंग की प्रतिध्वनि सुनाई देती है। यदि स्रोत तथा परावर्तक शीघ्र की दूरी स्थिर रहे तो किस दिन प्रतिध्वनि अधिक शीघ्र सुनाई देगी|
(i) जिस दिन (ताप) अधिक हो?
(ii) जिस दिन (ताप) कम हो?
उत्तर- अधिक तापमान वाले दिन प्रतिध्वनि शीघ्र सुनाई देगी।
कारणः प्रतिध्वनि का समय t = \frac { 2d }{ \nu }, d= परावर्तक पृष्ठ की स्रोत से दूरी
चूँकि परावर्तक पृष्ठ की दूरी (d) स्थिर है इसलिए प्रतिध्वनि का समय ध्वनि के चाल का व्युत्क्रमानुपाती होगा। ताप में वृद्धि होने पर उस माध्यम में ध्वनि की चाल भी बढ़ती है।
अतः अधिक ताप वाले दिन ध्वनि की चाल अधिक होगी और प्रतिध्वनि शीघ्र सुनाई देगी।

प्र० 12. ध्वनि तरंगों के परावर्तन के दो व्यावहारिक उपयोग लीखिए।
उत्तर-
(i) मेगाफोन या लाउडस्पीकर, हार्न तथा शहनाई जैसे वाद्य यंत्रः ये सभी इस प्रकार बनाए जाते हैं कि ध्वनि सभी दिशाओं में फैले बिना केवल एक विशेष दिशा में ही जाती है। यह स्रोत से उत्पन्न होने वाली ध्वनि तरंगों को बार-बार परावर्तित करके श्रोताओं की ओर आगे की दिशा में भेज देता है।

(ii) स्टेथोस्कोप: में रोगी के हृदय की धड़कन की ध्वनि बार-बार परावर्तन के कारण डॉक्टर के कानों तक पहुँचती है।

प्र० 13. 500 मीटर ऊँची किसी मीनार की चोटी से एक पत्थर मीनार के आधार पर स्थित एक पानी के तालाब में गिराया जाता है। पानी में इसके गिरने की ध्वनि चोटी पर कब सुनाई देगी? (g = 10 m/s तथा ध्वनि की चाल = 340 m/s)
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प्र० 14. एक ध्वनि तरंग 339 m/s की चाल से चलती है। यदि इसकी तरंगदैर्घ्य 1.5 cm हो तो तरंग की आवृत्ति कितनी होगी? क्या ये श्रव्य होगी?
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प्र० 15. अनुरणन क्या है? इसे कैसे कम किया जा सकता है?
उत्तर- किसी बड़े हॉल में उत्पन्न होने वाली ध्वनि दीवारों से बारंबार परावर्तन के कारण काफी समय तक बनी रहती है। यह बारंबार परावर्तन, जिसके कारण ध्वनि का स्थायित्व होता है, अनुरणन (Reverberation) कहलाता है। यह अवांछनीय होता है क्योंकि अत्यधिक अनुरणन के कारण स्पष्ट सुनाई नहीं देता हैं अनुरणन कम करने के निम्न उपाय हैं:

  • भवन की छतों तथा दीवारों पर ध्वनि अवशोषक पदार्थों जैसे संपीडित फाइबर बोर्ड, खुरदरे प्लास्टर अथवा पर्दै लगाते हैं।
  • सीटों के पदार्थों का चुनाव इनके ध्वनि अवशोषक गुणों के आधार पर करना।

प्र० 16. ध्वनि की प्रबलता से क्या अभिप्राय है? यह किन-किन कारकों पर निर्भर करती है?
उत्तर- प्रबलता ध्वनि के लिए कानों की संवेदनशीलता की माप है जिसके कारण मृदु ध्वनि (Soft sound) तथा प्रबल ध्वनि (Loud sound) में अंतर कर सके। ध्वनि की प्रबलता निम्नलिखित पर निर्भर करती है।

  • ध्वनि के दोलन आयाम (Amplitude of vibration of sound)
  • कानों की संवेदनशीलता (Sensitivity of ears)

प्र० 17. चमगादड़ अपना शिकार पकड़ने के लिए पराध्वनि का उपयोग किस प्रकार करता है?
उत्तर- चमगादड़ उड़ते समय पराध्वनि तरंगे उत्सर्जित (Emmits) करता है तथा परावर्तन के बाद इनका संसूचन (detect) करता है चमगादड़ द्वारा उत्पन्न उच्च तारत्व के पराध्वनि स्पंद अवरोधों या कीटों से परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक पहुँचता है। इस तरह चमगादड़ को परावर्तित स्पंदों की प्रकृति से चमगादड़ को पता चलता है कि अवरोध या कीट कहाँ पर है और यह किस प्रकार का है। चमगादड़ द्वारा पराध्वनि उत्सर्जित होती है तथा अवरोध या कीटों द्वारा परावर्तित होती है।
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प्र० 18. वस्तुओं को साफ करने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे करते हैं?
उत्तर- पराध्वनि का उपयोग उन भागों को साफ करने में करते हैं जिन तक पहुँचना कठिन होता है; जैसेः सर्पिलाकार नली, विषम आकार के पुर्जे, इलेक्ट्रॉनिक अवयव आदि। वस्तुओं को साफ करने वाले मार्जन विलयन में पराध्वनि तरंगें भेजी जाती हैं। उच्च आवृत्ति होने के कारण धूल, चिकनाई, गंदगी के कण अलग होकर नीचे गिर जाते हैं। इस प्रकार वस्तु पूर्णतया साफ हो जाती है।

प्र० 19. सोनार की कार्यविधि तथा उपयोग का वर्णन कीजिए।
उत्तर- कार्यविधिः सोनार में एक प्रेषित (Transmitter) तथा संसूचक (detector) होता है। इसे किसी नाव या जहाज में चित्रानुसार लगा देते हैं प्रेषित द्वारा पराध्वनि तरंगें उत्पन्न तथा प्रेषित की जाती हैं जो समुद्र तल में स्थित किसी पिंड से टकराकर परावर्तित होती हैं और संसूचक द्वारा ग्रहण कर ली जाती हैं।
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संसूचकः पराध्वनि तरंगों को विद्युत संकेतों में बदल देता है जिनकी उचित रूप से व्याख्या कर ली जाती है।
मान लीजिए पराध्वनि संकेतों के प्रेषण तथा अभिग्रहण का समयांतराल = t है।
समुद्री जल में ध्वनि की चाल = υ है।
तब सतह से पिंड की एक तरफ की दूरी (या गहराई) = d
सतह से पिंड तक तथा वापस सतह तक पराध्वनि द्वारा चली गई दूरी = 2d होगी
दूरी = चाल x समय
⇒ 2d = υ x t
⇒ d = \frac { \nu \quad \times \quad t }{ 2 } …(1)
उपयोगः उपर्युक्त समीकरण में ‘V’ तथा ‘t’ के मान प्रतिस्थापित कर हम ‘d ज्ञात कर लेते हैं।
(i) समुद्र की गहराई ज्ञात करने में
(ii) जल के अंदर स्थित चट्टानों, घाटियों, पनडुब्बियों, हिमशैल (प्लावी बर्फ़), डूबे हुए जहाज आदि की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

प्र० 20. एक पनडुब्बी पर लगी एक सोनार युक्ति, संकेत भेजती है और उनकी प्रतिध्वनि 5s पश्चात् ग्रहण करती है। यदि पनडुब्बी से वस्तु की दूरी 3626 m हो तो ध्वनि की चाल की गणना कीजिए।
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प्र० 21. किसी धातु के ब्लॉक में दोषों का पता लगाने के लिए पराध्वनि का उपयोग कैसे किया जाता है, वर्णन कीजिए।
उत्तर- पराध्वनि तरंगों को धातु के ब्लॉक से प्रेषित की जाती है और प्रेषित तरंगों का पता लगाने के लिए संसूचकों (Detectors) का उपयोग किया जाता है। यदि थोड़ा-सा भी दोष होता है तो पराध्वनि तरंगें वापस परावर्तित हो जाती हैं जो कि धातु ब्लाक में दोष की उपस्थिति दर्शाती हैं।
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प्र० 22. मनुष्य का कान किस प्रकार कार्य करता है? विवेचना कीजिए।
उत्तर- बाहरी कान ‘कर्ण पल्लव’ कहलाता है। यह आसपास के परिवेश से ध्वनि एकत्रित करता है। एकत्रित ध्वनि श्रवण नालिका से गुजरती है। श्रवण नालिका के सिरक पर एक पतली झिल्ली होती है जिसे कर्ण पटल या कर्ण पटह झिल्ली कहते हैं। जब माध्यम के संपीडन कर्ण पटह तक पहुँचते हैं तो झिल्ली के बाहर की ओर लगने वाला दाब बढ़ जाता है और यह कर्ण पटह को अंदर की ओर दबाता है। इसी प्रकार, विरलने के पहुँचने पर कर्ण पटह बाहर की ओर गति करता है। इस प्रकार कर्ण पटह कंपन करता है। मध्य कर्ण में विद्यमान तीन हड्डियाँ। (मुग्दरक, निहाई तथा वलयक (स्टिरप)। इन कंपनों को कई गुना बढ़ा देती हैं। मध्य कर्ण ध्वनि तरंगों से मिलने वाले इन दाबे परिवर्तनों को आंतरिक कर्ण तक संचरित कर देता है। आंतरिक कर्ण में कर्णावर्त Cochlea) द्वारा दाब परिवर्तनों को विद्युत संकेतों को श्रवण तंत्रिका द्वारा मस्तिष्क तक भेज दिया जाता है और मस्तिष्क इनकी ध्वनि के रूप में व्याख्या करता है।
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कक्षा 9 विज्ञान पाठ 11 के प्रश्न उत्तर | class 9 science chapter 11 question answer in hindi | class 9 science chapter 11 notes | कक्षा 9 विज्ञान पाठ 11 कार्य तथा ऊर्जा |

पाठगत हल प्रश्न (NCERT IN-TEXT QUESTIONS SOLVED)

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या-164)

प्र० 1. किसी वस्तु पर 7N का बल लगता है। मान लीजिए बल
की दिशा में विस्थापन 8m है (संलग्न चित्र देखिए)। मान लीजिए वस्तु के विस्थापन के समय लगातार वस्तु पर बल लगता रहता है। इस स्थिति में किया गया कार्य कितना होगा?
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NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या-165)

प्र० 1. हम कब कहते हैं कि कार्य किया गया है?
उत्तर- विज्ञान के दृष्टिकोण से हम तब कहते हैं कि कार्य किया गया जब वस्तु पर बल लगाने पर उसमें विस्थापन हो जाए।

प्र० 2. जब किसी वस्तु पर लगने वाला बल इसके विस्थापन की दिशा में हो तो किए गए कार्य का व्यंजक लिखिए।
उत्तर- यदि किसी वस्तु पर F बल लगे और उसमें बल की दिशा में विस्थापन s हो।
तब कार्य W = बल x बल की दिशा में विस्थापन।
W = F x s

प्र० 3. 1 J कार्य को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- 1 J किसी वस्तु पर किए गए कार्य की वह मात्रा है।
जब 1 N का बल वस्तु को बल की क्रिया रेखा की
दिशा में 1m विस्थापित कर दे।

प्र० 4. बैलों की एक जोड़ी खेत जोतते समय किसी हल पर 140 N बल लगाती है। जोता गया खेत 15 m लंबा है। खेत की लंबाई को जोतने में कितना कार्य किया गया?
उत्तर-
दिया है : बल F = 140 N
विस्थापन s = 15 m
किया गया कार्य = बल x विस्थापन
W = F x s
W = 140 N x 15 m = 2100 Nm = 2100 J
अतः किया गया कार्य = 2100J

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या-169)

प्र० 1. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा क्या होती है?
उत्तर- किसी वस्तु में उसकी गति के कारण निहित ऊर्जा को गतिज ऊर्जा कहते हैं।
गतिज ऊर्जा (Ek)= \frac { 1 }{ 2 } mv²
जहाँ, m = वस्तु का द्रव्यमान
v = वस्तु का वेग

प्र० 2. किसी वस्तु की गतिज ऊर्जा के लिए व्यंजक लिखो।
उत्तर- गतिज ऊर्जा = \frac { 1 }{ 2 } mv²
जहाँ पर, m = वस्तु का द्रव्यमान
v = वस्तु का वेग

प्र० 3. 5 ms-1 के वेग से गतिशील किसी m द्रव्यमान की वस्तु की गतिज ऊर्जा 25 J है। यदि इसके वेग को दोगुना कर दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी? यदि इसके वेग को तीन गुना बढ़ा दिया जाए तो इसकी गतिज ऊर्जा कितनी हो जाएगी?
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NCERT Solutions for Class 9 Science Chapter 11 (Hindi Medium) 3

NCERT पाठ्यपुस्तक (पृष्ठ संख्या 174)

प्र० 1. शक्ति क्या है?
उत्तर- कार्य करने की दर या ऊर्जा रूपांतरण की दर को शक्ति कहते हैं।
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प्र० 2. 1 वाट शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- 1 वाट उस अभिकर्ता (एजेंट) की शक्ति है जो 1 सेकंड में 1 जूल कार्य करता है।
दूसरे शब्दों में, यदि ऊर्जा के उपयोग की दर 1 Js-1 हो तो शक्ति 1 W होगी।
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या 1 w = 1 Js-1

प्र० 3. एक लैंप 1000 J विद्युत ऊर्जा 10 में व्यय करता है। इसकी शक्ति कितनी है?
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प्र० 4. औसत शक्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- औसत शक्ति को हम कुल उपयोग की गई ऊर्जा को, कुल लिए गए समय से विभाजित कर प्राप्त कर सकते हैं।
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नोटः [औसत शक्ति पद तब उपयोग करते हैं जब किसी अभिकर्ता या एजेंट (जैसे कोई संयंत्र) की शक्ति समय के साथ बदलती है। अर्थात् विभिन्न समय अंतरालों में विभिन्न दरों से कार्य करता है।]

पाठ्यपुस्तक से हल प्रश्न (NCERT TEXTBOOK QUESTIONS SOLVED)

प्र० 1. निम्न सूचीबद्ध क्रियाकलापों को ध्यान से देखिए। अपनी कार्य शब्द की व्याख्या के आधार पर तर्क दीजिए कि इनमें कार्य हो रहा है अथवा नहीं।
(i) सूमा एक ताबाल में तैर रही है।
(ii) एक गधे ने अपनी पीठ पर बोझा उठा रखा है।
(iii) एक पवन चक्की (विंड मिल) कुएँ से पानी उठा रही है।
(iv) एक हरे पौधे में प्रकाश-संश्लेषण की प्रक्रिया हो रही है।
(v) एक इंजन ट्रेन को खींच रहा है।
(vi) अनाज के दाने सूर्य की धूप में सूख रहे हैं।
(vii) एक पाल-नाव पवन ऊर्जा के कारण गतिशी है।
उत्तर-
(i) कार्य हो रहा है क्योंकि यहाँ विस्थापन हो रहा
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(vii) इस स्थिति में कार्य हो रहा है क्योंकि पवन ऊर्जा द्वारा बल लगाने पर पाल नाव (Sailboat) में गति होती है अर्थात् विस्थापन होता है।

प्र० 2. एक पिंड को धरती से किसी कोण पर फेंका जाता है। यह एक वक्र पथ पर चलता है और वापस धरती पर आ गिरता है। पिंड के पथ के प्रारंभिक तथा अंतिम बिंदु एक ही क्षैतिज रेखा पर स्थित हैं। पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया गया?
उत्तर- चूँकि पिंड के पथ के प्रारंभिक तथा अंतिम बिंदु एक ही क्षैतिज रेखा पर हैं अर्थात पिंड का विस्थापन क्षैतिज दिशा में हो रहा है। इसलिए नेट विस्थापन गुरुत्वीय बल की दिशा में उर्ध्वाधर नीचे नहीं हो रहा है। अतः गुरुत्वीय बल के कारण कोई कार्य नहीं हो रहा है। क्योंकि गुरुत्वीय बल की दिशा और विस्थापन के बीच 90° का कोण बनता है। अर्थात कार्य W =OJ
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प्र० 3. एक बैट्री बल्ब जलाती है। इस प्रक्रम में होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
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प्र० 4. 20 kg द्रव्यमान पर लगने वाला कोई बल इसके वेग को 5 ms-1 से 2 ms-1 में परिवर्तन कर देता है। बल द्वारा किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
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प्र० 5. 10 kg द्रव्यमान का एक पिंड मेज पर A बिंदु पर रखा है। इसे B बिंदु तक लाया जाता है। यदि A तथा B को मिलाने वाली रेखा क्षैतिज है तो पिंड पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य कितना होगा? अपने उत्तर की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
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प्र० 6. मुक्त रूप से गिरते एक पिंड की स्थितिज ऊर्जा लगातार कम होती जाती है। क्या यह ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन करती है। कारण बताइए।
उत्तर- किसी बिंदु पर स्थितिज ऊर्जा में जितनी कमी होती है गतिज ऊर्जा में उतनी ही वृद्धि हो जाती है। किसी ऊँचाई ‘h’ पर स्थितिज ऊर्जा अधिकतम होती है। जैसे-जैसे वस्तु नीचे गिरती है इसके वेग में वृद्धि होती जाती और इस तरह स्थितिज ऊर्जा में कमी तथा गतिज ऊर्जा में वृद्धि होती है। जब वस्तु पृथ्वी की सतह पर पहुँचने वाला होता है तब इसकी गतिज ऊर्जा अधि कतम तथा स्थितिज ऊर्जा न्यूतनम (क्योंकि h = 0) हो जाती है। अत: ऊर्जा नष्ट नहीं होती बल्कि परिवर्तन होती है और प्रत्येक बिंदु पर K.E + P.E = अचर ही रहता है। अतः हम कह सकते हैं कि ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता है।
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प्र० 7. जब आप साइकिल चलाते हैं तो कौन-कौन से ऊर्जा रूपांतरण होते हैं?
उत्तर- जब साइकिल सवार बल लगाता है और पैडल घुमाता है तो इस प्रकार वह यांत्रिक कार्य कर रहा है जिसके फलस्वरूप साइकिल के पहिए गति करने लगते हैं। और यांत्रिक कार्य गतिज ऊर्जा में बदल जाता है। इस गतिज ऊर्जा का कुछ भाग सड़क के द्वारा साइकिल के टायरों पर कार्यरत घर्षण बल का सामना करने में भी व्यय होता है। घर्षण बल के विरुद्ध किया गया कार्य उष्मीय ऊर्जा में बदल जाता है।
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प्र० 8. जब आप अपनी सारी शक्ति लगाकर एक बड़ी चट्टान को धकेलना चाहते हैं और उसे हिलाने में असफल हो जाते हैं तो क्या इस अवस्था में ऊर्जा का स्थानांतरण होता है? आपके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा कहाँ चली जाती है?
उत्तर- हाँ, ऊर्जा का स्थानांतरण होता है लेकिन चट्टान में विस्थापन नहीं होने के कारण कार्य शून्य हो जाता है। हमारे द्वारा व्यय की गई ऊर्जा के कारण चट्टान में थोड़ा विरूपण (deformation) होता है या ऊर्जा उसे विरूपित करने का प्रयास करती है जिससे व्यक्ति थकान महसूस करता है और अतत: उष्मीय ऊर्जा में (पसीने में) रूपांतरित हो जाती है।

प्र० 9. किसी घर में एक महीने में ऊर्जा की 250 यूनिटें’ व्यय हुईं। यह ऊर्जा जूल में कितनी होगी?
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प्र० 10. 40 kg द्रव्यमान का एक पिंड धरती से 5m की ऊँचाई तक उठाया जाता है। इसकी स्थितिज ऊर्जा कितनी है? यदि पिंड को मुक्त रूप से गिरने दिया जाए तो जब पिंड ठीक आधे रास्ते पर है उस समय इसकी गति ऊर्जा का परिकलन कीजिए। (g = 10 ms-1)
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प्र० 11. पृथ्वी के चारों ओर घूमते हुए किसी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा कितना कार्य किया जाएगा? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर- पृथ्वी उपग्रह पर गुरुत्व बल द्वारा किया गया कार्य शून्य होगा क्योंकि उपग्रह पर कार्यरत गुरुत्व बल और विस्थापन की दिशा के बीच 90° का कोण बनता है।
गणितीय रूप सेः
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प्र० 12. क्या किसी पिंड पर लगने वाले किसी भी बल की अनुपस्थिति में, इसका विस्थापन हो सकता है? सोचिए। इस प्रश्न के बारे में अपने मित्रों तथा अध्यापकों से विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर- हाँ, बल की अनुपस्थिति में भी विस्थापन हो सकता है। यदि बाह्य बल अनपस्थित है तब न्यूटन के गति के प्रथम नियम के अनुसार
(i) जब वस्तु विरामावस्था में है तो विरामावस्था में ही रहेगा।
(ii) जब वस्तु एक समान गति से एक सीधी रेखा में गतिशील है तो गतिशील ही रहेगी।
अतः स्थिति (ii) में बाह्य बल की अनुपस्थिति में भी विस्थापन संभव है।

प्र० 13. कोई मनुष्य भूसे के एक गठ्ठर को अपने सिर पर 30 मिनट तक रखे रहता है और थक जाता है। क्या उसने कुछ कार्य किया या नहीं? अपने उत्तर को तर्कसंगत बनाइए।
उत्तर- नहीं, उस व्यक्ति द्वारा कोई भी कार्य नहीं किया गया। अर्थात कार्य = 0 (शून्य), क्योंकि वह एक ही स्थान पर खड़ा है इसलिए विस्थापन S = 0 है। परंतु उसके पेशीय थकान का कारण उसके पेशी में खिंचाव (Stretch) है तथा रक्त का विकृत पेशी (Strained muscle) की ओर अधिक तेजी से जाना। इस तरह के बदलाव में शारीरिक ऊर्जा व्यय होती है।

प्र० 14. एक विद्युत्-हीटर (ऊष्मक) की घोषित शक्ति 1500W है। 10 घंटे में यह कितनी ऊर्जा उपयोग करेगा?
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प्र० 15. जब हम किसी सरल लोलक के गोलक को एक ओर ले जाकर छोड़ते हैं तो यह दोलन करने लगता है। इसमें होने वाले ऊर्जा परिवर्तनों की चर्चा करते हुए ऊर्जा संरक्षण के नियम को स्पष्ट कीजिए। गोलक कुछ समय पश्चात् विराम अवस्था में क्यों आ जाता है? अंततः इसकी ऊर्जा का क्या होता है? क्या यह ऊर्जा संरक्षण का उल्लंघन है?
उत्तर-
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प्रारंभ में सरल लोलक विरामावस्था में होता है। इस स्थिति में लोलक की स्थिति A होती है। यह मध्यस्थिति (Meanposition) कहलाता है। जब इसे स्थिति B तक धकेला जाता है और फिर छोड़ दिया जाता है तब निम्न स्थितियाँ होती हैं।

(i) जब लोलक का गोलक स्थिति B पर होता है (देखिए चित्र), उसमें केवल स्थितिज ऊर्जा होती है।
(ii) जैसे ही गोलक स्थिति B से स्थिति A तक गति करना आरंभ करता है, उसकी स्थितिज ऊर्जा घंटती जाती है और गतिज ऊर्जा बढ़ती जाती है।
(iii) जब गोलक मध्य स्थिति A पर पहुँचता है, उसमें केवल गतिज ऊर्जा होती है।
(iv) ठीक इसके विपरीत जैसे ही गोलक स्थिति A से स्थिति C की ओर जाता है, उसकी गतिज ऊर्जा घटने लगती है परंतु उसकी स्थितिज ऊर्जा बढ़ने लगती है।
(v) चरम स्थिति C पर पहुँचकर, गोलक अत्यंत कम समय के लिए रुकता है। इसलिए, स्थिति C पर गोलक में केवल स्थितिज ऊर्जा होती है।

इससे हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि चरम स्थिति B और C पर लोलक के गोलक की कुल ऊर्जा स्थितिज के रूप में ही होती है, जबकि मध्य स्थिति A पर लोलक के गोलक की संपूर्ण ऊर्जा गतिज ऊर्जा (Ek) होती है। अन्य सभी माध्यमिक स्थितियों पर, सरल लोलक के गोलक की ऊर्जा आंशिकतः (Partially) स्थितिज ऊर्जा और आंशिकतः .तिज ऊर्जा होती है। परंतु किसी भी समय पर दोलन करते हुए लोलक की कुल ऊर्जा वही (या संरक्षित) रहती है।
अर्थात् P.E + K.E = अचर रहती है।

अंततः घर्षण बल और वायु के प्रतिअवरोध के कारण सरल लोलक का गोलक विरामावस्था में आ जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वायु के प्रतिरोध का सामना करने में ऊर्जा व्यय होती है तथा ऊष्मीय ऊर्जा में बदल जाता है। स्पष्टतः इस स्थिति में भी ऊर्जा संरक्षण नियम का उल्लंघन नहीं होता है।

प्र० 16. m द्रव्यमान का एक पिंड एक नियत वेग ७ से गतिशील है। पिंड पर कितना कार्य करना चाहिए कि यह विराम अवस्था में आ जाए?
उत्तर-
द्रव्यमान = m
पिंड का नियत वेग = v
पिंड की गतिज ऊर्जा Ek = \frac { 1 }{ 2 } mv2
स्पष्टत: पिंड को विरामावस्था में लाने के लिए इसकी गतिज ऊर्जा \frac { 1 }{ 2 }mv2 से कम होनी चाहिए।
पिंड को विरामावस्था में लाने के लिए किया गया कार्य w = -Ek = – \frac { 1 }{ 2 } mv2

प्र० 17. 1500 kg द्रव्यमान की कार को जो 60 km/h के वेग से चल रही है, रोकने के लिए किए गए कार्य का परिकलन कीजिए।
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प्र० 18. निम्न में से प्रत्येक स्थिति में m द्रव्यमान के एक पिंड पर एक बल F लग रहा है। विस्थापन की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर है जो एक लंबे तीर से प्रदर्शित की गई है। चित्रों को ध्यानपूर्वक देखिए और बताइए कि किया गया कार्य ऋणात्मक है, धनात्मक है या शून्य है।
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उत्तर-
(a) शून्य क्योंकि बल की दिशा तथा विस्थापन की दिशा के बीच 90° का कोण है अर्थात् ए दूसरे के लंबवत् हैं।
(b) धनात्मक, क्योंकि विस्थापन, बल की दिशा में हो रहा है।
(c) ऋणात्मक, क्योंकि विस्थापन की दिशा बल की दिशा के विपरीत दिशा में हो रहा है।

प्र० 19. सोनी कहती है कि किसी वस्तु पर त्वरण शून्य हो सकता है चाहे उस पर कई बल कार्य कर रहे हों। क्या आप उससे सहमत हैं? बताइए क्यों?
उत्तर- हाँ, हम सोनी के इस कथन से सहमत हैं। यदि किसी वस्तु पर अनेक बल कार्य कर रहे हों और उनका परिणामी बल अर्थात् नेट बल शून्य हो तो वस्तु का त्वरण शून्य होगा।
[F = ma ⇒ 0 = ma ⇒ a = 0 क्योंकि m शून्य नहीं हो सकता]

प्र० 20. चार युक्तियाँ, जिनमें प्रत्येक की शक्ति 500 w है। 10 घंटे तक उपयोग में लाई जाती हैं। इनके द्वारा व्यय की गई ऊर्जा kuuh में परिकलित कीजिए।
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प्र० 21. मुक्त रूप से गिरता एक पिंड अंततः धरती तक पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा का क्या होता है?
उत्तर- मुक्त रूप से गिरता पिंड अंतत: धरती पर पहुँचने पर रुक जाता है। इसकी गतिज ऊर्जा निम्न में बदल जाती है।
(i) कुछ गतिज ऊर्जा ध्वनि ऊर्जा में
(ii) कुछ गतिज ऊर्जा घर्षण बल के विरुद्ध कि गए कार्य के कारण ऊष्मीय ऊर्जा में। तथा
(iii) कुछ गतिज ऊर्जा उसके विन्यास (Configuation) में परिवर्तन लाकर स्थितिज ऊर्जा के रूप में परिवर्तित हो जाता है।