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10 Science Chapter 15 हमारा पर्यावरण Notes in hindi
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Chapter = 15 📚
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हमारा पर्यावरण💠
❇️ पर्यावरण का अर्थ :-
ü परि ( आस – पास ) + आवरण ( घेरे हुए ) ।
ü वह आवरण जो हमें चारों ओर से घेरे हुए हैं या
हमारे चारों ओर का वह वातावरण या परिवेश जिसमें हम रहते हैं , पर्यावरण
कहलाता है ।
❇️ पारितंत्र :-
एक
क्षेत्र के सभी जीव व अजैविक घटक मिलकर एक पारितंत्र का निर्माण करते हैं । इसलिए
एक पारितंत्र जैविक ( जीवित जीव ) व अजैविक घटक ; जैसे :- तापमान , वर्षा ,
वायु , मृदा आदि से मिलकर बनता है ।
❇️ पारितंत्र के प्रकार :-
🔹 इसके दो प्रकार होते हैं ।
प्राकृतिक पारितंत्र :-
पारितंत्र
जो प्रकृति में विद्यमान हैं । प्राकृतिक पारितंत्र कहलाते हैं । उदाहरण :- जंगल ,
सागर , झील ।
मानव निर्मित पारितंत्र :-
जो पारितंत्र मानव ने
निर्मित किए हैं , उन्हें मानव निर्मित
पारितंत्र कहते हैं । उदाहरण :- खेत , जलाशय , बगीचा ।
❇️ पारितंत्र के घटक :-
1. अजैविक घटक
2. जैविक घटक
अजैविक घटक :-
o प्रकृति के वे घटक जिनमें जीवन नहीं है ,
किंतु जीवन को आधार प्रदान करती हैं अजैविक घटक कहलाते
हैं ।
o सभी निर्जीव घटक जैसे :- हवा , पानी , भूमि ,
प्रकाश और तापमान आदि मिलकर अजैविक घटक बनाते हैं ।
जैविक घटक :-
🔹 प्रकृति के वे घटक जिनमें जीवन है , जैविक घटक कहलाते हैं । जैसे :- पशु – पक्षी ,
जन्तु , पेड़ – पौधे , सूक्ष्मजीव आदि ।
🔹 सभी सजीव घटक जैसे :- पौधे , जानवर , सूक्ष्मजीव ,
फफूंदी आदि मिलकर जैविक घटक बनाते हैं ।
🔹 आहार के आधार पर जैविक घटकों को उत्पादक ,
उपभोक्ता , अपघटक में बाँटा गया है ।
❇️ उत्पादक :-
Ø
सभी हरे पौधों एवं नील-
हरित शैवाल जिनमें प्रकाश संश्लेषण की क्षमता होती है ,
इसी वर्ग में आते हैं तथा उत्पादक कहलाते हैं ।
❇️ उपभोक्ता :-
Ø
ऐसे जीव जो उत्पादक द्वारा उत्पादित भोजन पर प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष
रूप से निर्भर करते हैं , उपभोक्ता कहलाते हैं ।
Ø
उपभोक्ता को मुख्यतः
शाकाहारी , मांसाहारी तथा सर्वाहारी
एवं परजीवी में बाँटा गया है ।
शाकाहारी :- पौधे व पत्ते खाने वाले
। जैसे :- बकरी , हिरण ।
माँसाहारी :- माँस खाने वाले । जैसे
:- शेर , मगरमच्छ ।
सर्वाहारी :- पौधे व माँस दोनों खाने
वाले । जैसे :- कौआ , मनुष्य ।
परजीवी :- दूसरे जीव के शरीर में
रहने व भोजन लेने वाले । जैसे :- जू , अमरबेल ।
❇️ अपघटक :-
Ø
फफूंदी व जीवाणु जो कि
मरे हुए जीव व पौधे के जटिल पदार्थों को सरल पदार्थों में विघटित कर देते हैं । इस
प्रकार अपघटक स्रोतों की भरपाई में मदद करते हैं ।
❇️ आहार श्रृंखला :-
ü
आहार श्रृंखला एक ऐसी
शृंखला है जिसमें एक जीव दूसरे जीव को भोजन के रूप में खाते हैं । उदाहरण :- घास → हिरण → शेर
पोषीस्तर :- एक आहार श्रृंखला में ,
उन जैविक घटकों को जिनमें ऊर्जा का स्थानांतरण होता है
, पोषीस्तर कहलाता है ।
एक आहार श्रृंखला में ऊर्जा का स्थानांतरण एक दिशा में
होता है ।
सूर्य से प्राप्त ऊर्जा :- हरे
पौधे सूर्य की ऊर्जा का 1 % भाग
जो पत्तियों पर पड़ता है , अवशोषित करते हैं ।
ऊर्जा प्रवाह का 10 % नियम :- एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में केवल 10
% ऊर्जा का स्थानांतरण होता है जबकि 90
% ऊर्जा वर्तमान पोषी स्तर में जैव क्रियाओं में उपयोग
होती है ।
❇️ आहार श्रृंखला के चरण :-
ü
उपभोक्ता के अगले स्तर
के लिए ऊर्जा की बहुत ही कम मात्रा उपलब्ध हो पाती है ,
अत : आहार श्रृंखला में सामान्यत : तीन अथवा चार चरण
ही होते हैं ।
❇️ जैव आवर्धन :-
ü आहार श्रृंखला में हानिकारक रसायनों की मात्रा
में एक पोषी स्तर से दूसरे पोषी स्तर में जाने पर वृद्धि होती है । इसे जैव आवर्धन
कहते हैं ।
ü ऐसे रसायनों की सबसे अधिक मात्रा मानव शरीर में होती है ।
❇️ आहार जाल :-
🔹 आहार श्रृंखलाएं आपस में प्राकृतिक रूप से जुड़ी होती हैं ,
जो एक जाल का रूप धारण कर लेती है ,
उसे आहार जाल कहते हैं ।
❇️ पर्यावरण की समस्याएं :-
🔹 पर्यावरण में बदलाव हमें
प्रभावित करता है और हमारी गतिविधियाँ भी पर्यावरण को प्रभावित करती हैं । इससे
पर्यावरण में धीरे – धीरे गिरावट आ रही है , जिससे पर्यावरण की समस्याएँ उत्पन्न होती हैं । जैसे :- प्रदूषण ,
वनों की कटाई ।
❇️ ओजोन परत :-
Ø
ओजोन परत पृथ्वी के
चारों ओर एक रक्षात्मक आवरण है जो कि सूर्य के हानिकारक पराबैंगनी प्रकाश को
अवशोषित कर लेती हैं । इस प्रकार से यह जीवों की स्वास्थय संबंधी हानियाँ ;
जैसे :- त्वचा , कैंसर , मोतियाबिंद ,
कमजोर परिरक्षा तंत्र , पौधों का नाश आदि से रक्षा करती है ।
Ø
मुख्य रूप से ओजोन परत
समताप मंडल में पाई जाती है जो कि हमारे वायुमंडल का हिस्सा है । जमीनी स्तर पर
ओजोन एक घातक जहर है ।
❇️ ओजोन का निर्माण :-
ओजोन का निर्माण निम्न प्रकाश – रासायनिक क्रिया का
परिणाम है ।
O₂ पराबैंगनी विकिरण 0
+ O ( अणु )
O₂ + O → 0₃ ( ओजोन
)
❇️ ओजोन परत का ह्रास :-
ü
1985
में पहली बार अंटार्टिका में ओजोन परत की मोटाई में कमी देखी गई ,
जिसे ओजोन छिद्र के नाम से जाना जाता है ।
ü
ओजोन की मात्रा में इस तीव्रता से गिरावट का मुख्य कारक मानव
संश्लेषित रसायन क्लोरोफ्लुओरो कार्बन ( CFC ) को माना गया । जिनका उपयोग शीतलन एवं अग्निशमन के लिए किया जाता है
।
ü
1987
में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम ( यूएनईपी ) में सर्वानुमति बनी की सीएफसी
के उत्पादन को 1986 के स्तर पर ही सीमित
रखा जाए ( क्योटो प्रोटोकोल ) ।
❇️ कचरा प्रबंधन :-
🔹 आज के समय में अपशिष्ट निपटान एक मुख्य समस्या है जो कि हमारे
पर्यावरण को प्रभावित करती है । हमारी जीवन शैली के कारण बहुत बड़ी मात्रा में
कचरा इकट्ठा हो जाता है ।
Ø
कचरे में निम्न पदार्थ
होते हैं :-
🔶 जैव निम्नीकरणीय पदार्थ :- पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों
के कारण छोटे घटकों में बदल जाते हैं । उदाहरण :- फल तथा सब्जियों के छिलके ,
सूती कपड़ा , जूट , कागज आदि ।
🔶 अजैव निम्नीकरण पदार्थ :- पदार्थ जो सूक्ष्मजीवों
के कारण घटकों में परिवर्तित नहीं होते हैं । उदाहरण :- प्लास्टिक ,
पॉलिथीन , संश्लिष्ट रेशे , धातु ,
रेडियोएक्टिव अपशिष्ट आदि ।
🔹 सूक्ष्मजीव एंजाइम उत्पन्न करते हैं जो पदार्थों को छोटे घटकों में
बदल देते हैं एंजाइम अपनी क्रिया में विशिष्ट होते हैं । इसलिए सभी पदार्थों का
अपघटन नहीं कर सकते हैं ।
❇️ कचरा प्रबंधन की विधियाँ :-
🔶 जैवमात्रा संयंत्र :- जैव निम्नीकरणीय पदार्थ
( कचरा ) इस संयंत्र द्वारा जैवमात्रा व खाद में परिवर्तित किया जा सकता है ।
🔶 सीवेज उपचार तंत्र :- नाली के पानी को नदी में
जाने से पहले इस तंत्र द्वारा संशोधित किया जाता है ।
🔶 कूड़ा भराव क्षेत्र :- कचरा निचले क्षेत्रों
में डाल दिया जाता है और दबा दिया जाता है ।
🔶 कम्पोस्टिंग :- जैविक कचरा कम्पोस्ट गड्डे
में भर कर ढक दिया जाता है ( मिट्टी के द्वारा ) तीन महीने में कचरा खाद में बदल
जाता है ।
🔶 पुन : चक्रण :- अजैव निम्नीकरणीय पदार्थ
कचरा पुन : इस्तेमाल के लिए नए पदार्थों में बदल दिया जाता है ।
🔶 पुन : उपयोग :- यह एक पारंपारिक तरीका
है जिसमें एक वस्तु का पुन : -पुनः इस्तेमाल कर सकते हैं । उदाहरण :- अखबार से
लिफाफे बनाना ।
🔶 भस्मीकरण :- यह एक अपशिष्ट उपचार
प्रक्रिया है जिसे थर्मल उपचार के रूप में वर्णित किया जाता है जो कचरे को राख में
बदल देता है । मुख्य रूप से इसका उपयोग अस्पतालों से जैविक कचरे के निपटान के लिए
उपयोग किया जाता है ।
1 comment:
Superb sirji very helpful for me
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